*मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखना एक आध्यात्मिक साधना है।*

मौन का अर्थ है चुप्पी अर्थात मौन व्रत से है।
इस दिन मौन व्रत रखा
जाता है। इस बार सन् 2025 में दिनांक 29 जनवरी दिन बुधवार को मौनी अमावस्या है।आज के पावन दिन मौन व्रत
संकल्प लेकर करना चाहिए। प्रातः मौन धारण
करके किसी पवित्र नदी
सरोवर या आसपास के जल स्रोत में स्नान से
पवित्र होकर घर आकर
मौन व्रत का संकल्प लें। या पूरे वर्ष भर कम से कम बोलने का संकल्प
लें। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए कम
बोलने से ऊर्जा नष्ट होने से बच जाती है। जो हमारे मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को मजबूत
कर सकती है। हमारा शरीर भी एक मशीन की
तरह कार्य करता है। जिसमें अनेक तंत्र हैं। इन
सभी तंत्रों को ठीक रखने के लिए उसे बीच बीच में
आराम देना भी नितांत
आवश्यक हैं। जिस प्रकार पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए साप्ताहिक उपवास रखा जाता है ठीक इसी प्रकार मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र और स्वर ग्रंथियों को ठीक रखने के लिए
मौन व्रत भी होना आवश्यक है। इसलिए यह व्रत अवश्य रखना चाहिए। चाहे आप मात्र एक ही दिन का क्यों न रखें।वर्ष में 1 दिन तो सभी तकनीकी मशीनें भी बंद रह जाती हैं। गाड़ियां कल कारखाने छापेखाने फैक्ट्री आदि वर्ष में चार-पांच दिन बंद
रहती हैं प्रेस समाचार पत्र छापेखाने आदि वर्ष में एक समय अंतराल के
बाद चार-पांच दिन बंद रहती हैं।ठीक इसी प्रकार मौन व्रत रखने से मनुष्य का विकास होता है आध्यात्मिक एवं सकारात्मक ऊर्जा
मिलती है। जो कि वैज्ञानिक दृष्टि से
भी महत्वपूर्ण है।

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*मौनी अमावस्या को क्या-क्या वस्तुए दान करें?*
इस दिन तिल गर्म कपड़े कंबल आदि दान करने चाहिए। जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है उन्हें इस दिन सफेद वस्तुएं जैसे दूध दही चावल खीर चीनी मिश्री बतासे व सफेद वस्त्र आदि दान करने चाहिए। मौनी अमावस्या को माघ की अमावस्या भी कहते है। यह पावन दिन मंत्र साधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।माघ अमावस्या के दिन ही ब्रह्मा जी ने प्रथम
पुरुष अर्थात स्वयंभू मनु की उत्पत्ति की थी।
और सृष्टि की रचना का कार्य इसी दिन से प्रारंभ
हुआ था। इसके अतिरिक्त द्वापर युग का प्रारंभ भी इसी दिन से प्रारंभ हुआ था। अतः इस दिन से कोई नया कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता क्योंकि यह युग तिथि मानी गई है। चार युगों के प्रारंभ की चार
तिथियां होती हैं जिसमें कोई नया कार्य प्रारंभ करना वर्जित माना जाता है इन चार युगतिथियों में
द्वापर युग की प्रारंभ तिथि मौनी अमावस्या ही
है। मौनी आमावस्या मुख्य रूप से पितरों के
निमित्त दान तर्पण आदि के लिए मौनी अमावस्या श्रेष्ठ बताई गई है। इससे
पितर प्रसन्न होते हैं।

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*शुभ मुहुर्त*
इस बार दिनांक 29 जनवरी 2025 दिन बुधवार को मौनी अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। इस दिन यदि अमावस्या तिथि की बात करें तो 27 घड़ी 28 पल अर्थात शाम 6:05 तक अमावस्या तिथि रहेगी यदि इस दिन के नक्षत्र की बात करें तो उत्तराषाढा नामक नक्षत्र तीन घड़ी पांच पल अर्थात प्रातः 8:21:00 तक है। इस दिन सिद्धि योग 35 घड़ी 37 पल अर्थात रात्रि 9:22 तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण मकर राशि में विराजमान रहेंगे।महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर शाही स्नान का विशेष
महत्तव है।मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहुर्त में स्नान और दान
करना अत्यत शुभ माना जाता है, जो 29 जनवरी को प्रातः 5:.25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा।
इस दिन चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होंगे, जिससे मौनी अमावस्या का महत्व और बढ़ जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण मौनी अमावस्या में मौन रहना एक आध्यात्मिक साधना है, जो आत्मा की शुद्धि और मन की शांति के लिए लाभकारी है।

 

इस दिन तिल, अन्न, वस्त्र, और धन का दान करनाअत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे जीवन मैं सुख और समृद्धि आती है।
*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*

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