नैनीताल । उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2020-21 में विभिन्न जिलों में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था जिसमें प्रथम वरीयता दिवर्षीय डीएलएड की थी । डीएलएड प्रशिक्षित उपलब्ध न होने पर बी॰एड॰ प्रशिक्षितों के आवेदनों पर विचार किया जाए उल्लेख था l जिसमें राज्य के डायट डीएलएड प्रशिक्षित, राज्य से बाहर से प्रशिक्षित डीएलएड व एनआईओएस संस्थान से प्रशिक्षिक डीएलएड उपाधि धारकों ने भी आवेदन किया था । 15 जनवरी को विभाग द्वारा एनआईओएस से प्रशिक्षित डीएलएड को मान्य किया था जिसे बाद में विभाग द्वारा ही रद्द कर दिया ।
जिसके बाद ये लड़ाई उच्च न्यायालय में चली । न्यायालय के एकल पीठ व युगल पीठ ने निर्णय एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षितों के पक्ष में दिया । संगठन के अध्यक्ष नन्दन बोहरा का कहना है कि शिक्षा मंत्री डां0 धन सिंह रावत ने उन्हें दूरभाष के माध्यम से अवगत करवाया कि विभाग सर्वोच्च न्यायालय में आपके विरुद्ध केस दायर नहीं करेगा ।साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा भी हमारे शिष्टमंडल को फोन कर अपने कार्यालय में वार्ता हेतु बुलाया गया था वार्ता के साथ साथ उनके द्वारा अपने, मुख्यमंत्री कार्यालय व सूचना विभाग के फेसबूक पेज पर भी लिखा गया कि बेरोजगार युवाओं को अनावश्यक न्यायलयों की शरण में न जाना पड़े इस पर ध्यान दिया जाएगा । हमारा प्रयास समस्याओं का सरलीकरण के साथ साथ उचित समाधान करना भी हैं l
लेकिन बोहरा का कहना है कि मुख्यमंत्री अपने कही हुई बात पर अडिग नहीं रहे स्वयं विभाग हाईकोर्ट के 14 सितम्बर के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने के लिए गया l जिसकी हम व हमारा संगठन घोर निन्दा करता है साथ ही सरकार को चेतावनी भी देता है कि हम एनआईओएस डीएलएड प्रशिक्षिक के अधिकारों की यदि अनदेखी होती है तो हमें अपने परिवार के साथ उग्र आन्दोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा l