पापमोचनी का अर्थ है पाप हरने वाली। जानिए कथा, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि।

यह एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को होती है। इस वर्ष यह  5 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी। पुराणों में पापमोचनी एकादशी व्रत रखना बेहद फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि विकट से विकट स्थिति में पापमोचनी एकादशी व्रत रखने से श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है। इस कथा में भी भगवान श्री कृष्ण और धर्म राज युधिष्ठिर संवाद है। धर्मराज युधिष्ठिर पूछते हैं- हे जनार्दन !चैत्र मास कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा इसकी क्या विधि है। कृपा करके आप मुझे
बताये।

 

श्री भगवान बोले हे राजन!चैत्रमास
एकादशी का नाम पापमोचनी एकादशी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है। यह व्रतों में उत्तम व्रत है। इस पापमोचनी एकादशी के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पापों का नाश होता है। एक समय देवर्षि नारद ने जगत पिता व्रह्माजी से कहा आप मुझसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विधान कहिये व्रह्माजी कहने लगे कि- हे नारद! चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के रूप में मनाई
जाती है।इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।इसकी कथा के अनुसार चित्र रथ नामक एक रमणीक वन था। इस वन में देवराज इन्द्र गंधर्व
कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद बिहार
करते थे। एक बार मेधावी नामक ऋषि भी वहाँ
पर तपस्या कर रहे थे। वे ऋषि शिव उपासक तथा
अप्सराएँ शिव द्रोहिणी थी। एक बार कामदेव ने
मुनि का तप भंग करने के लिए उन्के पास मंजुघोषा- नामक अप्सरा को भेजा। युवा अवस्था वाले मुनि अप्सरा के हाव भाव नृत्य गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गये। रति क्रिडा करते हुए 57वर्ष व्यतीत हो गये। एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा मांगी उसके
द्वारा आज्ञा मांगने पर मुनि को भान आया और
उन्हें आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल पंहचाने का
एक मात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा हीं है। क्रोधित
होकर उनहोंने मंजुघोषा को पिशाचिनी होने का
श्राप दिया।श्राप सुनकर मंजुघोषा कांपते हुए ऋषि से मुक्ति का उपाय पूछने लगी तब मुनि श्री ने पापमोचनी एकादशी व्रत रखने को कहा और अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर अपने पिता च्यवन ऋषि
के आश्रम पंहचे ।पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निंदा की तथा उन्हें चैत्र कृष्ण एकादशी व्रत करने की आज्ञा दी ।व्रत के प्रभाव से मंजुघोषा पिशाचिनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गयी ।अतः हे नारद !जो कोई मनुष्य विधि पूर्वक इस व्रत का महात्म्य को पढता है और सुनता है उसे सारे संकटौ से भी मुक्ति मिल जाती है।

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*शुभ मुहूर्त*
इस बार सन 2024 में दिनांक 5 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को पाप मोचनी एकादशी व्रत मनाया जाएगा ।इस दिन यदि एकादशी तिथि की बात करें तो 18 घड़ी 43 पल अर्थात दोपहर 1:28 बजे तक एकादशी तिथि रहेगी ।यदि इस दिन के नक्षत्र की बात करें तो 30 घड़ी 15 पल अर्थात शाम 6:05 बजे तक धनिष्ठा नामक नक्षत्र रहेगा।साध्य नामक योग 9:53 बजे तक रहेगा। बालव नामक करण 18 घड़ी 43 पल अर्थात दोपहर 1:28 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे।
*पूजा विधि*
पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शौच आदि से निवृत होकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें या जल स्रोत के समीप स्नान करें यदि ऐसा संभव न हो तो घर में ही स्नान के जल में गंगाजल मिलकर स्नान करें। तदुपरांत घर के मंदिर में अथवा तुलसी वृंदावन के समीप आसान बिछाकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर बैठ जाएं। एक चौकी में पीला वस्त्र बिछाकर कर उसके ऊपर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराएं। तदुपरांत रोली चंदन और जौं चढ़ाएं। अक्षत के रूप में जौं का प्रयोग करें क्योंकि चावल वर्जित हैं। इस दिन घर में भी परिवार का कोई सदस्य चावल का प्रयोग ना करें। श्री हरि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी का शोडषोपचार पूजन करें। आरती के उपरांत तीन बार प्रदक्षिणा अवश्य करें। अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण अवश्य करें।
*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*

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