नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस नैनीताल टीम के द्वारा 9 मई को गिरफ्तार नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा व कोषागार के लेखाकार बसन्त जोशी की ओर से दायर जमानत अर्जियों पर सुनवाई की।

मामलों की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने आरोपी दिनेश राणा व बसन्त जोशी की जमानत अर्जी की अगली सुनवाई कल 8 जुलाई को भी जारी रखी है।

इस मामले में कोर्ट एक विधिक प्रश्न पर सुनवाई कर रही है। जिसके तहत विजिलेंस टीम रिश्वतखोर को किसी की शिकायत पर ट्रेप करना चाहिए या उसके खिलाफ की गई शिकायत की जाँच के बाद ट्रेप करे ? अब तक विजिलेंस शिकायत के आधार पर ट्रेप करती आई है । जबकि सी बी आई जैसी जांच एजेंसी पहले आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गोपनीय जांच करती है और उसके बाद आरोपी को गिरफ्तार करती है ।

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इस विधिक प्रश्न पर प्रदेश के न्यायलयों में अब तक इस बिंदु पर सुनवाई नहीं हुई है । अभी तक दोनों पक्ष कानून का नाजायज फायदा लेते आए हैं।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि की उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि जब मामले की जाँच हुई तो पाए गए नोटो पर एकाउंटेंट व मुख्य कोषाधिकारी के उंगलियों के निशान पाए गए। इसकी पुष्टि के लिये काँच के गिलास में पानी भरकर व सोडियम कार्बोनेट डाला गया। जिसमें आरोपियों हाथ धोए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया। नोटों में भी आरोपियों के उंगलियों के निशान लगे हुए हैं। इसलिए उन्हें ट्रेप कर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

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