नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने दिव्यांगजन को सरकारी सेवा में आरक्षण का लाभ देने में भेद भाव करने के मामले में समाज कल्याण विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग से याची को भर्ती परीक्षा में शामिल करने के निर्देश दिए हैं । मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार दोनों पावों व हाथ से दिव्यांग राजेश कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि लोक सेवा आयोग ने अगस्त व सितंबर में समीक्षा अधिकारी,सहायक समीक्षा अधिकारी व कर विभाग के लिये विज्ञप्ति जारी की । इस विज्ञप्ति में एक पांव, एक टांग,कुष्ठ रोग उपचारित, एसिड अटैक पीड़ित आदि के लिये आरक्षण दिया है । लेकिन दोनों टांगों व दोनों हाथों से दिव्यांग व्यक्ति के लिये आरक्षण नहीं दिया गया है । जिस कारण वे इन पदों के लिये आवेदन नहीं कर सके ।
  इस मामले में आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह विज्ञप्ति सरकार द्वारा भेजी गई अध्याचना के आधार पर जारी हुई है । लेकिन सरकार के अधिवक्ता दिव्यांगजन के साथ हुए भेदभाव का स्पष्टीकरण नहीं दे सके । जिस पर कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को कड़ी फटकार लगाई ।कोर्ट ने लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया कि याची का ऑफ लाइन आवेदन पत्र एक हफ्ते के भीतर स्वीकार करें ।
 इस मामले में सरकार को जबाव देने के लिये 6 हफ्ते
का समय दिया गया है ।मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी ।

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