घट स्थापना का शुभ मुहूर्त । आलेख-: पंडित प्रकाश चन्द्र जोशी ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि माता रानी का वाहन पालकी
होगा। वैसे तो माता रानी का मुख्य वाहन सिंह है लेकिन वार नक्षत्र आदि गणना के अनुसार वाहन हर साल बदलता है जो कोई ना कोई संकेत लेकर आता है।इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी।ऐसे में माता रानी का वाहन पालकी रहेगा।कहा जाता है कि नवरात्रि की शुरुआत जब
गुरुवार के दिन होती है तो मां की सवारी डोली या पालकी होती है।
माता रानी का वाहन पालकी होना अशुभ संकेत देता है।
ज्योतिषाचार्य पालकी वाहन को लेकर संदेश
देते हैं कि, नवरात्रि में मां दुर्गा जब धरती पर
डोली या पालकी में आती हैं तो इसे बहुत
अच्छा संकेत नहीं माना जाता है इससे अर्थव्यवस्था में गिरावट,व्यापार में मंदी, हिंसा,देश-दुनिया में महामारी के बढ़ने के संकेत मिलते हैं।
वैसे तो माता रानी का वाहन शेर है इसलिए मां दुर्गा को शेरावाली मां कहा जाता है। परंतु नवरात्रि में जब मां दुर्गा धरती पर आती है तो उस दिन के हिसाब से उसका वाहन बदल जाता है।
*शशि सूर्य गजरूढा शनिभौमै तुरंगमे।गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता।*
इस श्लोक के अनुसार, सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी का आगमन अलग-अलग वाहनों पर
बताया गया है। इसके अनुसार, यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार को प्रारंभ होती है, तो देवी हाथी पर सवार होकर
आती हैं। यदि नवरात्र शनिवार या मंगलवार को शुरू होती है, तो देवी
अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। जब नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार को शुरू होती है तो मां रानी पालकी या
डोली पर आती हैं। जबकि जब नवरात्रि बुधवार को शुरू होती है तो मां नौका में सवार होकर आती है।
*शुभ मुहूर्त -*
इस बार दिनांक 3 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार से नवरात्र प्रारंभ होंगे इस दिन यदि प्रतिपदा तिथि की बात करें तो 52 घड़ी दो पल अर्थात अगले दिन प्रात: 2:58 बजे तक प्रतिपदा तिथि रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन हस्त नक्षत्र 23 घड़ी 27 पल अर्थात शाम 3:32 बजे तक है। इस दिन ऐंद्र नामक योग 55 घड़ी 36 पल अर्थात अगले दिन प्रातः 4:24 बजे तक है।
*घटस्थापना का शुभ मुहूर्त*
पंचांग के अनुसार, 3 अक्टूबर को घटस्थापना
का मुहूर्त प्रातः 6बजकर 15 मिनट से लेकर 7
बजकर 22 मिनट तक होगा। घटस्थापना के लिए कुल 1 घंटा 07 मिनट का समय मिलेगा।
इसके अलावा, घटस्थापना अभिजीत मुहुर्त में भी किया जा सकता है। अभिजीत मुहूर्त सुबह11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा, जिसके लिए 47मिनट का समय मिलेगा।
*शारदीय नवरात्रि तिथियां क्रमवार।*
3 अक्टूबर 2024-: मां शैलपुत्री (पहला दिन)
गुरुवार प्रतिपदा तिथि।
4 अक्टूबर 2024-: मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन)
शुक्रवार द्वितीया तिथि।
5 अक्टूबर 2024-: मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन)
शनिवार तृतीया तिथि।
6 अक्टूबर 2024-: मां कुष्मांडा ( चौथा दिन)
रविवार चतुर्थी तिथि।
7 अक्टूबर 2024-: मां स्कंदमाता ( पांचवा दिन)
सोमवार पंचमी तिथि।
8 अक्टूबर 2024 -:
मां कात्यायनी (छठा दिन) मंगलवार षष्टी तिथि।
9 अक्टूबर 2024 -:
मां कालरात्रि(सातवां दिन) बुधवार सप्तमी तिथि।
10 अक्टूबर 2024, मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गाअष्टमी गुरुवार।
11 अक्टूबर 2024, महा अष्टमी एवं,महानवमी, (नौवां दिन)
शुक्रवार नवरात्र व्रत पारण।
12 अक्टूबर 2024, मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, शनिवार दशमी तिथि, विजयादशमी (दशहरा) पर्व।
*पूजा विधि-*
नवरात्रि के पहले दिन व्रती द्वारा व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन लोग अपने सामर्थ अनुसार 2, 3 या पूरे 9 दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते हैं। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी में जौ बोया जाता है और इस वेदी को कलश पर स्थापित किया जाता है। हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक काम से पहले भगवान
गणेश की पूजा का विधान बताया गया है अतः सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करना चाहिए
इसलिए इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है।
कलश को गंगाजल से साफ की गई जगह पर
रख दें। इसके बाद देवी-देवताओं का आवाहन करें।कलश में सात तरह के अनाज, कुछ सिक्के और मिट्टी भी रखकर कलश को फूल और आम के पत्तों से सजा लें। इस कलश पर कुल देवी की तस्वीर
स्थापित करें या नारियल रखें।दुर्गासप्तशती का पाठ करें इस दौरान अखंड ज्योति अवश्य प्रज्वलित करें। अंत
में देवी मां की आरती करें और प्रसाद को सभी
लोगों में बांट दें।
लेखक – आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।