नैनीताल। उत्तराखंड की सभी लोकभाषाओं को एकमंच पर लाने के लिए प्रयासरत राज्य की एकमात्र पत्रिका ‘कुमगढ़’ के तत्वावधान में रविवार को उत्तराखंडी भाषाओं की अखिलभारतीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित हुई। इस मौके पर उत्तराखंड भाषा सम्मान से पुरस्कृत गढ़वाली साहित्यकार बीना बेंजवाल व कुमगढ़ पत्रिका के संपादक दामोदर जोशी ‘देवांशु’-हल्द्वानी, उत्तराखंड भाषा संस्थान के मनोनीत सदस्य जौनसारी कवि उत्तरकाशी से महावीर रवांल्टा, अल्मोड़ा से श्याम सिंह कुटौला, पौड़ी से शंभू प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’, नई दिल्ली से पूरन चंद्र कांडपाल, लखनऊ से गिरीश बहुगुणा, गुरुग्राम से ज्योर्तिमई पंत, देहरादून से बीना बेंजवाल, डॉ. नीता कुकरेती, डॉ. सत्यानंद बड़ौनी व गोपाल बिष्ट, हल्द्वानी से मंजू पांडे ‘उदिता’, देवकी नंदन भट्ट ‘गरुड़’ व कैलाश पांडे, गरुड़ से मोहन जोशी-गरुड़, अल्मोड़ा से श्याम सिंह कुटौला, विपिन जोशी ‘कोमल’, चंपावत से दीपा पांडे, पिथौरागढ़ से दिनेश भट्ट तथा नैनीताल से डॉ. नवीन जोशी ‘नवेंदु’ ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं सुनाईं। काव्य गोष्ठी में देहरादून से डॉ. उमेश चमोला व डॉ. नंद किशोर हटवाल, नई दिल्ली से रमेश हितैषी व जगमोहन ज्याड़ा ‘जिज्ञासु’, बागेश्वर से केशवानंद जोशी, हरिद्वार से विनोद पंत व रामनगर से सुंदर लाल मदन व चंपावत से बहादुर बिष्ट सहित अनेक अन्य कवि जुटे एवं राज्य की लोकभाषाओं की प्रतिनिधि काव्य रचनाओं का आनंद लिया। संचालन डॉ. नवीन जोशी ‘नवेंदु’ ने किया।

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