*23 अक्टूबर को मनाया जाएगा भाई दूज पर्व (दुत्य त्यार)*
इस बार दिनांक 23 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार को भाई दूज पर्व मनाया जाएगा। इसके साथ
ही कार्तिक पंचपर्व का समापन हो जाएगा।

*शुभ मुहूर्त-:*
इस दिन यदि द्वितीया तिथि की बात करें तो 41 घड़ी दो पल अर्थात रात्रि 10:45 बजे तक द्वितीया तिथि रहेगी। विशाखा नामक नक्षत्र 56 घड़ी 12 पल अर्थात अगले दिन प्रातः 4:51 बजे तक है। आयुष्मान नामक योग 56 घड़ी 32 पल अर्थात अगले दिन प्रात 4:59 बजे तक है। इस दिन चंद्र देव रात्रि 10:06 बजे तक तुला राशि में विराजमान रहेंगे तदुपरांत चंद्रदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:42 बजे से 12:27 बजे तक है।
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं। भाई को च्यूड़े पूजती है। च्यूड़े पूजने से पूर्व दुर्वा से सिर पर सरसों का तेल धारण किया जाता है। हाथ पर कलावा बांधती हैं और उनकी लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन जो भाई बहन से तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
*कैसे मनाएं भाई दूज ?*
भाई दूज के दिन भाई प्रातःकाल चन्द्रमा के दर्शन करें और शुद्ध जल से स्नान करें, भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती हैं। इसमें च्यूड़े दुर्वा, सरसों के तेल के अतिरिक्त कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए।

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*भैया दूज की पौराणिक कथा-:* भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था।
उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त
यमराज बात को टालता रहा।कातिक
शुक्ल द्वितीया का
दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचन बद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्धावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया।यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।यमुना ने कहा कि भद्र ! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।

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*आलेख-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी, गेठिया नैनीताल।*

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