दैवीय आपदा, जोशीमठ वासियों का ब्लड प्रेशर भी बढ़ा रही है। बीते कुछ दिनों से स्वास्थ्य विभाग लगातार आपदा प्रभावितों की जांच कर रहा है।इसमें पता चला है कि बीपी के मरीजों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है। आपदा से पूर्व शहर में बीपी के मरीजों की संख्या 80 के आसपास थी, जो आपदा के बाद बढ़कर 380 से अधिक पहुंच गई है। जांच में प्रतिदिन 15 से 20 व्यक्तियों में बीपी की शिकायत मिल रही है।
मकानों के भूधंसाव की जद में आने के बाद राहत शिविर या नाते-रिश्तेदार के घरों में रह रहे प्रभावितों की चिंताएं बढ़ गई हैं। खासकर मकान और दुकानों के उजड़ने, रोजगार, बच्चों की पढ़ाई, मवेशियों के लिए चारा-पत्ती जैसी चिंताओं के चलते उन्हें ठीक से नींद न आने, भूख न लगने, चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इससे तनाव बढ़ना स्वाभाविक है, जो उन्हें बीपी का मरीज बना रहा है।इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ ही शिविर लगाकर भी लगातार प्रभावितों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है।

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विभाग के आंकड़े बताते हैं कि आपदा के बाद बीपी के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य शिविरों में अब तक 2000 से अधिक व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है, इनमें 15 प्रतिशत यानी 300 से अधिक बीपी के मरीज थे।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी डा. ज्योत्सना बताती हैं कि पहले बीपी के इक्का-दुक्का मरीज ही अस्पताल पहुंचते थे, लेकिन अब यह संख्या प्रतिदिन 20 तक भी पहुंच जा रही है।

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बताया कि रोजाना लगभग सौ व्यक्तियों का बीपी जांचा जा रहा है। खास बात यह कि बीपी की शिकायत राहत कार्यों में जुटे अधिकारी-कर्मचारियों में भी मिल रही है। इसकी वजह चौबीसों घंटे तनाव के बीच काम करना है।

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