देहरादून । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत आशा फेसलिटेटरों के शिष्टमंडल ने सोमवार को जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से प्रधानमंत्री, उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड, महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण देहरादून, निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तराखंड को अपनी नौ सूत्री मांगों के निराकरण हेतू ज्ञापन भेजा ।
आठ मार्च अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर अलग अलग जिलों से रैलियां व ज्ञापन के जरिए आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों ने शासन प्रशासन को अपनी जल्वत मांगों के लिए चेताया।
आशा फैसिलिटेटर संघ की प्रदेश महामंत्री रेनू नेगी ने बताया उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों व दुर्गम स्थानों में कार्यरत आशा एवं आशा फैसिलिटेटर इतने कम मानदेय स्वास्थ्य विभाग में निष्ठा पूर्वक इमादारी से अपने कामकाज करती आ रही है। प्रदेश में 12315 आशाएं हैं । इन आशाओं के ऊपर सन 2010 में योग्यता अनुसार आशा फैसिलिटेटर नियुक्त किए गए।एक आशा फैसिलिटेटर के अंतर्गत 30 से 40 आशाएं निर्धारित हैं। आशा कर्मचारियों के लिए ना तत्कालीन सरकार ने कुछ किया ना वर्तमान सरकार ने।

उन्होंने आशा फैसिलिटेटरों को 25 दिन की मोबिलिटी के बजाय तीस दिन की स्थाई ड्यूटी दिए जाने,आशा फैसिलिटेटरों स्टेशनरी सामान व यात्रा भत्ता दिए जाने, आशा फैसिलिटेटरों को राज्य कर्मचारी घोषित किये जाने, सेवानिवृत्त में रिटायरमेंट बैनीफिट व पैशन लागू किये जाने,आशा एवं आशा फैसिलिटेटरों को पल्स पोलियो में 100 रुपये की जगह पर 600रुपया दिए जाने,आशा फैसिलिटेटरों को पूरे प्रदेश सर्दी व गर्मी की अलग-अलग वर्दी लागू किये जाने,महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत आशा फैसिलिटेटरों को लाभांवित किये जाने,आशा फैसिलिटेटरों को पीएलए की बैठक का 100 रुपये की जगह पर 800 रुपये किये जाने की मांग की ।
ज्ञापन सौंपने वालों में रेनू नेगी आशा फैसिलिटेटर प्रदेश महामंत्री, कुसुम चौहान आशा फैसिलिटेटर कार्यकारिणी अध्यक्ष, पिंकी रावत,मिथिलेश, पूनम,संजू कंडारी, आनंदी गोदियाल, पूनम भारतीय मजदूर संघ कार्यकारिणी सदस्य,अवनीश कांत, उत्तरकाशी क्षेत्र पंचायत सदस्य गिरीश भट्ट आदि मौजूद रहे ।