*शुभ मुहूर्त*
दिनांक 22 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को महागौरी की पूजा होगी ।इस दिन यदि अष्टमी तिथि की बात करें तो 34 घड़ी पांच पल अर्थात शाम 7:59 बजे तक अष्टमी तिथि है ।यदि नक्षत्र की बात करें तो 30 घड़ी 50 पल अर्थात शाम 6:41 बजे तक उत्तराषाढ़ा नामक नक्षत्र है। यदि करण की बात करें तो इस दिन विष्टि नामक करण अर्थात भद्रा 6 घड़ी 35 पल अर्थात प्रातः 8:59 बजे तक है ।सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण मकर राशि में विराजमान रहेंगे।
*कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त*
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 6:26: से शाम 6:44 बजे तक है।ऐसे में आप प्रातः 6:26 बजे से दिनभर कन्या पूजन किसी भी समय कर सकते हैं।
*महागौरी की कथा*
बात यदि शिव महापुराण की करें तो शिवपुराण के अनुसार, महागौरी को आठ साल की
उम्र में ही अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का आभास होने लग गया था। उन्होंने इसी उम्र से ही भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और शिव को पति रूप
में पाने के लिए तपस्या भी शुरू कर दी थी। इसलिए अष्टमी तिथि को महागौरी के पूजन का विधान है। इस दिन दुर्गा सप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करना
विशेष फलदायी होता है। जो लोग 9 दिन का व्रत नहीं रख पाते हैं, वे पहले और आठवें दिन का व्रत कर पूरे 9 दिन का फल प्राप्त करते हैं।
और यदि देवी भागवत पुराण की बात करें तो
देवीभागवत पुराण के अनुसार, देवी पार्वती अपनी
तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का
आहार करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरभ कर दिया था। तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा। जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गई, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुई, जो कौशिकी कहलाई और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, ,जो महागौरी
कहलाई। मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती है।
इन दिन कन्या पूजन का भी विधान है। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं,
लेकिन अष्ठमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता
है।