नैनीताल । उद्यान विभाग में हुए घोटाले की जाँच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी द्वारा कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार को मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ में सीबीआई ने कहा है कि उनके द्वारा सभी फाइलों का अध्ययन कर लिया गया है। प्राथमिक तौर पर इस मामले में केश दर्ज किया जा सकता है। जबकि सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी जिस पर कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 9 अगस्त निर्धारित की है । कोर्ट उसी दिन तय करेगी कि घोटाले की जांच सीबीआई करेगी या एसआईटी।
पूर्व में कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि घोटाले के जो बिन्दु जनहित याचिका में उठाए गये हैं क्या उनकी प्रारंभिक जांच हो सकती है । जिसके बाद सी बी आई ने मामले की प्रारंभिक जाांच कर जबाव दाखिल किया ।
याचिकाकर्ता ने मामले की जाँच हेतु एसआईटी गठित करने का विरोध किया उन्होंने कहा कि यह सरकार की एजेंसी है मामले में सरकार के अधिकारी शामिल है जो जाँच को प्रभावित कर सकते है। मामले के अनुसार दीपक करगेती ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया है। जनहित याचिका में कहा गया है कि उद्यान विभाग में लाखों का घोटाला किया गया है जिसमें फल और अन्य के पौंधारोपण में गड़बडियां की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि विभाग द्वारा एक ही दिन वर्क आँर्ड़र जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पेड़ लाना दिखाया गया है जिसका पेमेंट भी कर दिया गया। याचिका में गया है कि इस पूरे मामले में कई वित्तीय व अन्य गड़बडियां हुई हैं जिसकी सीबीआई या फिर किसी निष्पक्ष जांच एजंसी से जांच कराई जाए।
इस घोटाले में निलंबित उद्यान निदेशक बवेजा द्वारा पहले एक नकली नर्सरी अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का कार्य देकर बड़े घोटाले को अंजाम दिया । जब उद्यान लगाओ उद्यान बचाओ यात्रा से जुड़े किसानों और उत्तरकाशी के किसानों द्वारा जोर शोर से इस प्रकरण को उठाया तो आनंद फानन में अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया,लेकिन साथ में पौधे भी अनिका ट्रेडर्स के बांटे गए।
इधर नैनीताल में मुख्य उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार सिंह के साथ मिलकर बवेजा ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की एक और नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया गया,जिसमें हुए भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी का जिक्र याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में किया है, बरकत एग्रो फार्म को इनवॉइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया,तो कहीं अकाउंटेंट के बिलों पर बिना हस्ताक्षर के ही करोड़ों करोड़ रुपए ठिकाने लगा दिए।