नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने अपर निजी सचिवों की वरिष्ठता के सम्बंध में पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल देहरादून के आदेश को निरस्त कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने 19 मार्च 2019 को जारी अपने आदेश में उच्च वेतनमान के आधार पर दी गई वरिष्ठता को निरस्त करते हुए संविलियन नियमावली 2002 के अनुसार वरिष्ठता निर्धारित करने के आदेश दिए थे ।
ट्रिब्यूनल के इस आदेश को अपर निजी सचिवों वर्तमान में प्रमुख निजी सचिव आर एस देव, गोपाल नयाल व अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी । ट्रिब्यूनल के आदेश में कहा गया कि संविलियन से पूर्व अन्य विभागों में की गई सेवा की मौलिक नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता निर्धारित की जाए ।
जबकि याचिकाकर्ताओं के अनुसार संविलियन के समय वे प्रतिवादी अपर निजी सचिवों हरिदत्त देवतल्ला,मदन मोहन भारद्वाज व अन्य से उच्च वेतनमान प्राप्त कर रहे थे । जिस कारण वे सीनियरिटी नियमावली 2002 के अनुसार वरिष्ठ हैं । याचिकाकर्ताओं के अनुसार ट्रिब्यूनल ने संविलियन नियमावली 2002 की गलत व्याख्या की है । याचिकाकर्ता 2004 में वरिष्ठ पद पर पदोन्नति पा चुके हैं । जिसे प्रतिवादियों ने आज तक किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी । लिहाजा ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर उनकी बरिष्ठता को बरकरार रखा जाय ।
मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द कर दिया ।याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश थपलियाल व ललित सामन्त ने पैरवी की । जबकि सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत को स्पेशल काउंसिल नियुक्त किया था ।