नैनीताल ।  उच्च न्यायालय के दैनिक वेतन, संविदा, तदर्थ आधारित 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके कार्मिकों के विनियमितीकरण के संबंध में पारित आदेश का उत्तराखंड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ व कुमाऊं मंडल विकास निगम कर्मचारी महासंघ ने स्वागत किया है एवं उत्तराखंड सरकार से इस हेतु शासनादेश जारी करने का अनुरोध किया है।

 उत्तराखंड विद्यालय कर्मचारी महासंघ द्वारा यह भी मांग की गई है कि उत्तराखंड शासन राज्य में कार्यरत दैनिक, संविदा, तदर्थ कर्मचारियों की 10 सेवाओं की पूर्णता पर विनियमितिकरण का संशोधित आदेश भी जारी किया जाय ताकि इसका लाभ उक्त समस्त एवं अर्ह कार्मिकों को प्राप्त हो सके।

महासंघ के अध्यक्ष भूपाल सिंह करायत एवं महामंत्री प्रशांत मेहता ने कहा कि उत्तराखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों में लंबे समय से कर्मचारियों के भारी संख्या में पद रिक्त हैं एवं विश्वविद्यालयों में दैनिक, संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी कार्य संचालन कर रहे हैं। इन पदों पर नियमित नियुक्ति हेतु संगठन द्वारा लंबे समय से मांग उठाई जाती रही है परंतु विश्वविद्यालयों में कोई नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है। इसके साथ ही संगठन द्वारा विश्वविद्यालय में कार्यरत संविदा, दैनिक, आउटसोर्स कर्मियों के नियमितीकरण की मांग भी प्रमुखता से की गई है। इस क्रम में उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से सभी कार्मिकों में नयी आशा जागृत हुई है। इस आदेश के फलस्वरुप विश्वविद्यालय में भी नियमितीकरण का रास्ता खुला है। पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सचिव कार्मिक को पत्र प्रेषित करते हुए  उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुरूप राज्य में राज्य में सेवाओं में संलग्न संविदा, दैनिक आधारित कार्मिकों के नियमितीकरण का आदेश पारित करने का अनुरोध पत्र प्रेषित किया है। साथ ही संगठन द्वारा इस प्रक्रिया में उपनल कर्मियों को भी शामिल करने की भी मांग की गई।
   कुमाऊं मंडल विकास निगम कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कंचन चन्दोला व अन्य ने हाईकोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए निगम प्रशासन से तत्काल इस आदेश का पालन करने की मांग की है । कंचन चन्दोला ने कहा कि लोक सभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पूर्व इस आदेश का क्रियान्वयन किया जाए । ताकि 10-15 वर्षों से दैनिक वेतन के रूप में कार्यरत कार्मिकों को अपने नियमितीकरण के लिये और इंतजार न करना पड़े ।
   दूसरी ओर इस आदेश से आरक्षण का कोटा पूरा न होने,कई कार्मिकों की वरिष्ठता प्रभावित होने व वर्षों से रिक्त पदों के सापेक्ष होने वाली भर्ती में शामिल होने की बाट जोह रहे बेरोजगारों में असमंजस्य की स्थिति है ।
   राज्य में दैनिक वेतन,संविदा,आउट सोर्स के रूप में सबसे अधिक कर्मचारी विश्वविद्यालयों,निगमों, पालिका परिषदों, वन विभाग,लोक निर्माण विभाग,सिंचाई विभाग आदि में हैं ।

By admin

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