प्राथमिक शिक्षक संघ की तदर्थ समिति ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन देकर शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से मुक्त रखे जाने की मांग की है । कहा कि  शोक्षकों को गैर शैक्षणिक दायित्व से मुक्त रखे जाने के शासनादेश का पालन विभाग नहीं कर पा रहा है । यह शासनादेश 2018 में जारी हुआ था । ज्ञापन में कहा है कि शिक्षकों की बी एल ओ ड्यूटी लगने से पूरे प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाएगी ।
तदर्थ कमेटी के प्रांतीय पदाधिकारी मनोज तिवारी ने कहा कि  पहले से ही शिक्षकों की कमी से एवं विभिन्न गैर शैक्षणिक दायित्वों से जूझ रहे शिक्षा विभाग के सामने आगामी विधानसभा के लिए मतदाता सूचियां तैयार किए जाने एवं पुनरीक्षण कार्य के लिए शिक्षकों को बी एल ओ ड्युटियों में लगाने के आदेश जारी होने लगे हैं । जिसे लेकर शिक्षक संगठन मुखर हो उठे हैं ।  उनका कहना है की शिक्षकों को गैरशैक्षणिक दायित्व से मुक्त रखे जाने का स्पष्ट शासनादेश होने के बाद भी इस तरह से प्रदेश के हजारों शिक्षकों को इन ड्युटियों में लगाए जाने से पूरी शिक्षा व्यवस्था अस्त व्यस्त हो जाएगी ।

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उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी मनोज तिवारी ने इस संदर्भ में जहां एक और मुख्य निर्वाचन आयुक्त उत्तराखंड से शिक्षकों को इस कार्य से मुक्त रखे जाने का पत्र भेजा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से भी तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है ।  श्री तिवारी का कहना है की राज्य सरकार द्वारा इस बाबत शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के चलते शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त रखे जाने का शासनादेश जारी किया गया है । बावजूद इसके भी शिक्षकों को दीर्घकाल तक बीएलओ ड्यूटी के नाम से विद्यालयों से बाहर रखना प्रदेश के हजारों नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है, क्योंकि वर्तमान में प्रदेश के अधिकांश विद्यालय एक अथवा दो शिक्षकों के भरोसे हैं और उन पर भी शिक्षक की अतिरिक्त अनेकों दायित्व सौंप गए हैं।

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संगठन का कहना है की यदि इस ड्यूटी के कारण प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापकों अथवा प्रभारी प्रधानाध्यापकों को यदि इस ड्यूटी के लिए भेजा गया तो वर्तमान में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार संचालित मध्यान भोजन की महत्वपूर्ण योजना प्रभावित हो जाएगी जो कि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के आदेशों की अवमानना होगी।
उन्होंने शीघ्र ही इस कार्य से शिक्षकों को पृथक किए जाने की मांग की है।

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