नैनीताल -हड़तालों के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच ने ऐलान किया है कि उत्तराखण्ड की 70 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से हड़ताली प्रदेश का तमगा हटाने की घोषणा करने वाला कोई नहीं है ।
शनिवार को चुनाव प्रचार थमने के बाद उत्तराखंड कार्मिक एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चंद्र पाण्डे ने कहा कि लोकतंत्र के इस चुनावी पर्व में विकास की बात तो सब कर रहे हैं लेकिन विकास में बाधक हड़तालों के प्रति जवाबदेही के सवाल पर सब चुप हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है ।
इस परिदृश्य पर गम्भीर चिंता व्यक्त करते हुए श्री पाण्डे ने कहा कि अल्मोड़ा स्थित न्याय के प्रतीक गोलज्यू के मन्दिर में सितम्बर2018 को विकास के लिए जवाबदेही हेतु एक फरियाद लगी थी और 19 मार्च 2020 को मन्दिर में लगी एक जागर में गोलज्यू के डंगरिया ने इस फरियाद के पूरा नहीं होने पर राज्य में उथल-पुथल होने का बचन दिया था । मंच ने इसे गंभीरता से लेते हुए मन्दिर से रामपुर तिराहा स्थित शहीद स्थल तक एकता यात्रा निकाली जिसके बाद शासन में इस फरियाद को लेकर उच्च स्तरीय बैठक भी हुई जिसमें हड़ताल के कारणों की समीक्षा तो हुई लेकिन जवाबदेही के सवाल पर चुप्पी रही ।
नतीजतन उथल पुथल के रूप में अप्रत्याशित रूप से सरकारें बदली , गवर्नर व ब्यूरोक्रेट्स बदल गये लेकिन अब तक सब इसे सामान्य प्रक्रिया बताते रहे हैं ।
उन्होंने कहा कि इस चुनावी शोर में ये भी फ्री वो भी फ्री, ये भी देंगे वो भी देंगें की तमाम घोषणाएं तो सुनाई दी लेकिन जो बुनियादी हक व सेवालाभ दिये जाने के लिए पहले से ही व्यवस्था बनी है उसी का पालन नहीं हो रहा है । उन्होंने कहा कि राज्य हित में सबसे पहली चुनौती व्यवस्था का पालन नहीं करने वाले ब्यूरोक्रेट्स पर नकेल कसने की है जिसके लिए जवाबदेही तय किया जाना जरूरी है ।
रमेश चंद्र पाण्डे, कर्मचारी नेता ।

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