नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने व सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर दायर हवालबाग अल्मोड़ा निवासी जितेंद्र यादव की जनहित याचिककी सुनवाई में शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण आदेश पारित किए । मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में याचिका की सुनवाई हुई ।
कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया है कि वह राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उचित निर्देश जारी करके पर्यावरण मुवावजे की धनराशि जो कि नियमानुसार दो करोड़ तक भी हो सकती है लागू करने हेतु निर्देश जारी करे और इस मुवावजे के लिये एक पृथक अकाउंट की व्यवस्था करे ।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि 18 जून रविवार को पूरे प्रदेश की न्यायपालिका उच्च न्यायालय और जिला न्यायालय और मजिस्ट्रेट कोर्ट तक सभी न्यायाधीश और कर्मचारी पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाएंगे। राज्य सरकार से भी इसमें सहयोग देने के लिए कहा है।
कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा जिसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जीबी पंत हिमालयन इंस्टीट्यूट के द्वारा गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, हेमकुंड साहिब में कूड़ा निस्तारण के संबंध में पाई गई गंभीर खामियों और सुझाए गए उपायों को तुरंत लागू करने के लिए राज्य सरकार को आदेश दिए हैं ।
खण्डपीठ ने यह भी आदेश दिया है कि एनजीटी द्वारा राज्य सरकार पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का पालन न करने पर जो 200 करोड़ रुपए की धनराशि आरोपित की है उसे उत्तराखंड में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण की अवस्थापना सुविधाएं विकसित करने में खर्च किया जाए । एन जी टी ने राज्य सरकार पर यह जुर्माना 11 मई को लगाया है । याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने खण्डपीठ के समक्ष एन जी टी का आदेश पेश किया और बताया कि उक्त जुर्माने के सम्बंध में राज्य के मुख्य सचिव ने एन जी टी को पत्र देकर कहा कि इसे जुर्माना न माना जाय । राज्य सरकार 200 करोड़ की राशि को अलग मद में जमा कर लेगी और इस राशि का उपयोग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में ही किया जाएगा ।
कोर्ट ने कहा कि सड़कों,नालों, जगंलों ,निकायों में वेस्ट के ढेर के ढेर लगे हुए हैं यह उन्होंने खुद देखा है और कर्मचारी स्वच्छता पर उदासीन हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कई दिशानिर्देश राज्य सरकार को दिए हैं:- कोर्ट ने अर्बन डवलपमेंट को पूर्व के आदेशों का सख्ती से पालन कराने को कहा है साथ ही कोर्ट ने केदारनाथ यात्रा के दौरान जिस तरह प्लास्टिक की बोतलों पर रिफंडेबल क्यूआर कोड लगाया जा रहा उसी तर्ज पर
मैन्युफैक्चर स्तर पर क्यूआर कोड लगाने कहा है। इसको चारधाम के अलावा पूरे प्रदेश में लागू करने को भी कहा है। 2:- कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि जितनी भी सड़कें केंद्र सरकार के बजट से बनाई जा रही है उन सड़कों की ऊपरी सतह प्लास्टिक वेस्ट से बनाई जाएं। 3:- निदेशक शहरी विकास को निर्देश दिए हैं कि जहाँ भी वेस्ट फैला है उसको युद्ध स्तर पर साफ किया जाय। 4:- कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वच्छतम भारत एप और उच्च न्यायलय द्वारा शिकायत वेबसाइट का व्यापक प्रचार प्रसार करने को कहा है। जिसमें जागरूक नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें तथा उनकी समस्याओं का निस्तारण हो सके। कोर्ट भी खुद इसकी मॉनिटरिंग करेगी। 5:- सफाई कर्मचारियों की फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाय।जिससे पता चल सके कि कौन कर्मचारी कार्य पर है और कौन नही। बॉयोमेट्रिक मशीन लगाई जाय। 6:- जिन वन पंचायतों का मैप अभी अपलोड नही हुआ है उनका मैप छः सप्ताह के भीतर अपलोड करें। 7:- गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगाने को कहा है। गाड़ियों में डस्टबिन लगे हैं या नही पुलिस उसकी देखरेख करें। 8:- एनजीटी ने सॉलिड वेस्ट के लिए राज्य सरकार पर दो सौ करोड़ का जुर्माना लगाया है राज्य सरकार उसका उपयोग वेस्ट के निस्तारण के लिए करें। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने कई क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण हेतु व्यापक अभियान चलाया है। 18 जून को व्यापक स्वच्छता अभियान में सरकार सहयोग करेगी। सरकार ने रुड़की व काशीपुर में पीसीबी के साथ मिलकर कई लोगो का चालान भी किया है। अधिवक्ता राजीव सिंह बिष्ठ ने कोर्ट का मार्गदर्शन करते हुए कहा सिक्किम की तर्ज पर राज्य में भी इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाय जिससे लोगो को इसका पता लग सके कि इससे पर्यावरण को कितना नुकसान होता है। राज्य पॉल्युशन बोर्ड के अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने कोर्ट से कहा कि पर्यावरण की क्षति के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की नियमावली में गंदगी फैलाने वालों से कम्पन्नशेशन लेने का प्रावधन है परन्तु राज्य प्रदूषण बोर्ड को इसको लेने की अनुमति नही है। अगर उन्हें इसे लेने की अनुमति मिल जाती है तो इसका उपयोग पर्यावरण क्षति की भरपाई करने के लिए किया जा सकता है। जिसपर कोर्ट ने इसपर स्थिति स्पस्ट करने को केंद्र से कहा है।
मैन्युफैक्चर स्तर पर क्यूआर कोड लगाने कहा है। इसको चारधाम के अलावा पूरे प्रदेश में लागू करने को भी कहा है। 2:- कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि जितनी भी सड़कें केंद्र सरकार के बजट से बनाई जा रही है उन सड़कों की ऊपरी सतह प्लास्टिक वेस्ट से बनाई जाएं। 3:- निदेशक शहरी विकास को निर्देश दिए हैं कि जहाँ भी वेस्ट फैला है उसको युद्ध स्तर पर साफ किया जाय। 4:- कोर्ट ने केंद्र सरकार के स्वच्छतम भारत एप और उच्च न्यायलय द्वारा शिकायत वेबसाइट का व्यापक प्रचार प्रसार करने को कहा है। जिसमें जागरूक नागरिक अपनी शिकायतें दर्ज कर सकें तथा उनकी समस्याओं का निस्तारण हो सके। कोर्ट भी खुद इसकी मॉनिटरिंग करेगी। 5:- सफाई कर्मचारियों की फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाय।जिससे पता चल सके कि कौन कर्मचारी कार्य पर है और कौन नही। बॉयोमेट्रिक मशीन लगाई जाय। 6:- जिन वन पंचायतों का मैप अभी अपलोड नही हुआ है उनका मैप छः सप्ताह के भीतर अपलोड करें। 7:- गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगाने को कहा है। गाड़ियों में डस्टबिन लगे हैं या नही पुलिस उसकी देखरेख करें। 8:- एनजीटी ने सॉलिड वेस्ट के लिए राज्य सरकार पर दो सौ करोड़ का जुर्माना लगाया है राज्य सरकार उसका उपयोग वेस्ट के निस्तारण के लिए करें। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने कई क्षेत्रों में कूड़ा निस्तारण हेतु व्यापक अभियान चलाया है। 18 जून को व्यापक स्वच्छता अभियान में सरकार सहयोग करेगी। सरकार ने रुड़की व काशीपुर में पीसीबी के साथ मिलकर कई लोगो का चालान भी किया है। अधिवक्ता राजीव सिंह बिष्ठ ने कोर्ट का मार्गदर्शन करते हुए कहा सिक्किम की तर्ज पर राज्य में भी इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाय जिससे लोगो को इसका पता लग सके कि इससे पर्यावरण को कितना नुकसान होता है। राज्य पॉल्युशन बोर्ड के अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने कोर्ट से कहा कि पर्यावरण की क्षति के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की नियमावली में गंदगी फैलाने वालों से कम्पन्नशेशन लेने का प्रावधन है परन्तु राज्य प्रदूषण बोर्ड को इसको लेने की अनुमति नही है। अगर उन्हें इसे लेने की अनुमति मिल जाती है तो इसका उपयोग पर्यावरण क्षति की भरपाई करने के लिए किया जा सकता है। जिसपर कोर्ट ने इसपर स्थिति स्पस्ट करने को केंद्र से कहा है।