नैनीताल ।  उच्च न्यायिक सेवा के तीन जजों ने उन्हें शासन द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है । जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की स्पेशल खण्डपीठ ने सरकार को वे रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने को कहा है जिस आधार पर इन जजों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है । इस मामले की अगली सुनवाई 8 दिसम्बर को होगी ।
  ज्ञात हो कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की संस्तुति पर राज्यपाल ने  निचली अदालतों  के तीन न्यायधीशों को अनिवार्य रूप से  सेवानिवृत्ति दे दी गई । जिनमें जिला जज स्तर के न्यायिक अधिकारी राजेन्द्र जोशी,शमशेर अली व अपर जिला जज शेष चन्द्र शामिल थे ।
       शासन ने हायर ज्यूडिशियल सर्विस रूल्स की धारा 25 अ का हवाला देते हुए मुख्य न्यायधीश की संस्तुति के आधार पर 21 सितंबर 2023 को उक्त जजों को कार्मिक सचिव शैलेश बगौली के हस्ताक्षरों से अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश जारी किया । इनमें हरिद्वार के श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारी राजेन्द्र जोशी,  काशीपुर के श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारी शमशेर अली और चतुर्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष चंद्र शामिल हैं । आरोप था कि उनके खिलाफ शिकायतें मुख्य न्यायधीश के पास  आई थी । जिसकी वजह से इनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई ।
  जबकि इन न्यायधीशों ने जबरन सेवानिवृति के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि उनकी सेवाएं हमेशा उत्कृष्ट रही हैं । उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पूर्व हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायधीश ने उनकी ए सी आर को उत्कृष्ट बताया । लेकिन उसके तुरन्त बाद उन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया । हाईकोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए सरकार से इस मामले के रिकॉर्ड पेश करने को कहा है ।

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