नैनीताल । नैनीताल के रंग कर्मियों की बहुत पुरानी मांग नगर मे नवनिर्मित जगदीश शाह प्रेक्षा ग्रह ने पूरी कर दी है। यह नया प्रेक्षाग्रह सी आर एस टी इंटर कॉलेज के नवीन भवन में निर्मित किया गया है।
युगमंच द्वारा नाटक ” ओ जन्मया नई” की शानदार प्रस्तुति ने आयोजकों और दो दिन तक कलाप्रेमियों से खचाखच भरे हॉल में सभी को भाव विभोर कर दिया।

साथ ही सी आर एस टी इंटर कॉलेज के सीनियर तथा जूनियर विंग के विद्यार्थियों द्वारा एवं समाजसेवी आलोक शाह वह गीता शाह द्वारा भी गीतों भरी शानदार प्रस्तुति दी गई। इस भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही जगदीश शाह प्रेक्षाग्रह का उद्घाटन भी हो गया तथा नैनीताल नगर के रंग कर्मियों की चिर प्रतीक्षित मांग भी पूरी हो गई।
प्रेक्षागृह के निर्माण हेतु नेताओं और सरकारों ने कई बार आश्वासन दिए मगर रहे मगर ढाक के तीन पात वाली कहावत रही। इस बीच सी आर एस टी इंटर कॉलेज के प्रबंधक पद्मश्री अनूप शाह के प्रयासों से एक नए भवन का निर्माण हुआ, जिसकी तीसरी मंजिल पर एक बड़े हॉल का भी निर्माण किया गया। उस हाल को समाजसेवी और दानवीर आलोक शाह एवं गीत शाह ने दिन-रात लगकर एक शानदार प्रेक्षाग्रह के रूप में निर्मित कर सरोवर नगरी को एक सौगात दी। इसके लिए संस्कृति कर्मी साहित्यकर्मी और मानवीय सामाजिक मूल्यों से जुड़े तमाम लोग एवं उनकी आने वाली पीढ़ी अनूप शाह और आलोक शाह जैसे युगदृष्टाओ को हमेशा याद रखेंगे।
हिंदी के बहुचर्चित लेखक और नाटककार असगर वजाहत द्वारा लिखित नाटक “ओ जनमिया नई”, जो युगमंच द्वारा जगदीश शाह ग्रह में मंचित किया गया वह मानवीय मूल्यों को स्थापित करता है और विभाजन की त्रासदी एवं विस्थापन के दर्द को समेटे हुए है। नाटक संदेश देता है कि उन्माद पर हमेशा मानवीयता, प्रेम और इंसानी जज्बे की जीत होती है। बटवारा चाहे सदस्यों का हो या परिवार का वह हमेशा त्रासदी और टूटन छोड़ जाता है। मगर मानवीय मूल्यों ने हमेशा इन भावों को भरा है। नाटक अंततः इन सब के ऊपर प्रेम और इंसानी जज्बे के सर्वोपरि होने को रेखांकित करता है।
नाटक की मूल परिकल्पना मशहूर अभिनेता और निर्देशक स्वर्गीय निर्मल पांडे ने की थी इस प्रस्तुति का निर्देशन, नगर के चर्चित रंगकर्मी और अभिनेता जरूर आलम द्वारा किया गया है। नाटक में भूमिका निभाने वाले सभी कलाकारों ने पूरी मेहनत से अपने किरदारों को निभाया और अपने चरित्र को जीवंत बनाकर दर्शकों को 2 घंटे की बड़े अंतराल तक न केवल बांधे रखा बल्कि भावविभोर कर वह वाही लूटी। दर्शकों की आंखें घर आई, बहुत देर तक खड़े होकर तालिया की गड़गड़ाहट और करतल ध्वनि से प्रेक्षागृह गूंजता रहा।
नाटक में जीवंत भूमिका निभाने वाले अभिनेताओं में मिथिलेश पांडे, मदन मेहरा, जहूर आलम, अदिति खुराना, मोहित सनवाल, मनोज कुमार, नवीन बेगाना, कौशल शाह, पवन कुमार, नीरज डालाकोटी, वीरेंद्र शाह, सुरेश बिनवाल, विवेक खोलिया, हर्षिता बिष्ट, दीपक बोरा और दिनेश सिंह रहे। निर्देशन सहायक के रूप में जितेंद्र बिष्ट मनोज कुमार और मदन मेहरा ने योगदान दिया। नाटक का सुमधुर संगीत सानी जुबेर द्वारा तैयार किया था, जिसे वर्तमान प्रस्तुति में नवीन बेगाना ने अपने संगीत निर्देशन से सजाया। तबले पर संजय कुमार और गायको में डिंपल नैनवाल, दिव्या, आकाश, हर्ष, मनोज, रोहित जोशी, प्रेम गोस्वामी, जतिन कुमार, आदित्य और अमन महाजन थे। रूप सजा में रोहित वर्मा और शाहिद अहमद, प्रकाश संयोजन में अनिल कुमार, सुनील कुमार और इंतखाब आलम, स्क्रिप्ट संपादन में प्रदीप पांडे, वित्त व्यवस्था में भास्कर बिष्ट एवं रफत आलम सहित मंच संचालन हरदिल अज़ीज़ हेमंत विश्व द्वारा किया गया एवं प्रस्तुति में डॉo हिमांशु पांडे का विशेष सहयोग रहा।
कार्यक्रम के सुधि दशकों में आलोक शाह, गीता शाह, पद्मश्री अनूप शाह, शेखर पाठक, प्रभात गंगोला, प्रधानाचार्य मनोज पांडे, दीपा बिष्ट, राकेश शर्मा, भुवन त्रिपाठी, किरन जरमाया, डॉo उमा भट्ट, राजीव लोचन शाह, मीनाक्षी बंगारी, पूर्व मुख्य सचिव इंदु कुमार पांडे, बेला नेगी, प्रणव रॉय, डॉ रवि जोशी, राजेश कुमार, डॉ शोभन सिंह, खुर्शीद हुसैन, गुड्डू बिष्ट, दीपा पांडे, हरीश राणा, प्रणय श्रीवास्तव, मनोज चौहान, राजेंद्र सुंदर्याल, मानसी रावत आदि उपस्थित थे ।