नैनीताल । रेलवे भूमि हल्द्वानी से अतिक्रमण हटाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान बुधवार को हाईकोर्ट में भारी पुलिस बल तैनात था । यहां एस पी क्राइम, सीओ नैनीताल के नेतृत्व में उत्तराखंड पुलिस व पी ए सी तैनात थी । इस मामले की सुनवाई सुबह ही हो गई थी जिसके बाद पी ए सी व पुलिस बल नैनीताल से लौट गया । प्रशासन को अतिक्रमणकारियों के भी सुनवाई के दौरान कोर्ट में पहुंचने की आशंका थी । हाईकोर्ट में कई अतिक्रमणकारियों ने अपील दायर की है । जिसमें कुछ ने सुनवाई का मौका न मिलने, किसी ने विस्थापन की व्यवस्था करने की मांग की है ।

इधर हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ समाजिक कार्यकर्ता हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी व अतिक्रमणकारियों की तरफ से दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं व अपील पर सुनवाई की । मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने फिलहाल अतिक्रमणकारियों को कोई अंतरिम राहत न देते हुए अगली सुनवाई हेतु 15 जून की तिथि नियत की है। खण्डपीठ ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि रविशंकर जोशी की जनहित याचिका में दूसरी खण्डपीठ ने पूर्व में निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है। जिसमे आदेश आना अभी बांकी है इसलिए इससे सम्बंधित अन्य मामलों की सुनवाई अभी सम्भव नहीं है।
मामले के अनुसार 9 नवम्बर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुवाईयाँ करें। आज रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है जिनमे करीब 4365 लोग मौजूद है। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया । जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नही पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार शुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया। जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नही दिया गया। जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेवले का विस्तार हो सके। इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशाशन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर बैध पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं।

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