*अंजनी का लाला बड़ा मतवाला।हवा में उडता जाये रे मेरा राम दुलारा ,,,*
*चैत्री पूर्णिमा हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष।*

*शुभ मुहूर्त—*
इस बार दिनांक 23 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन यदि पूर्णिमा तिथि की बात करें तो 59 घड़ी 6 पाल अर्थात अगले दिन प्रातः 5:18 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो इस दिन चित्र नमक नक्षत्र 42 घड़ी 10 पाल अर्थात रात्रि 10:32 बजे तक है। इस दिन शाम 4:26 बजे तक भद्रा है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव तुला राशि में विराजमान रहेंगे।
*पूजा विधि*
हनुमान जन्मोत्सव के दिन प्रातः ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त
होकर साफ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो
सिंदूरी रंग के वस्त्र पूजा के समय धारण करें।
तदुपरांत किसी हनुमान मंदिर में अथवा घर में
पूजा स्थल पर हनुमान जी की प्रतिमा के
सम्मुख बैठकर हनुमान जी की पूजा करें।
सर्वप्रथम स्नान कराएं तदुपरांत पंचामृत स्नान
कराएं तदुपरांत शुद्धरोदक स्नान कराएं।
भगवान हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का
तेल अर्पण करें हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाना
बेहद पसंद है। तदुपरांत हनुमंत कवच का पाठ
करें । हनुमंत कवच के बाद यदि संभव हो तो
हनुमान चालीसा का पाठ सौ बार करें। ऐसा
करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी
, ध्यान रहे हनुमान चालीसा पाठ से पूर्व कवच पाठ करना नितांत आवश्यक है।
*महत्व*
हनुमान जन्मोत्सव हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण
उत्सव है। भगवान हनुमान गुणवत्ता और
जीवन शक्ति की छवि है। ऐसा माना जाता है
कि हनुमान स्वेच्छा से किसी भी रूप को
धारण करने की क्षमता रखते हैं। बड़े-बड़े
पर्वतों को हवा में उठा कर ला सकते हैं और
एक छोटे से मच्छर का रूप भी धारण कर सकते हैं। उड़ान में गरुड़ के समान वेगवान हैं।
*भगवान हनुमान जी की जन्म की कथा कुछ इस प्रकार है।*
देवताओं के गुरु बृहस्पति की सेविका पुंजिकस्थला को एक महिला बंदर के रूप लेने के लिए शापित किया गया था। और इसके मोचन के लिेए उसे भगवान शिव के आवतार
को जन्म देना था। उन्होंने अंजना के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भीषण तपस्या की। भगवान शिव ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहा वरदान दिया। इसी कालखंड में अयोध्या के राजा दशरथ ने अपनी पत्नियों से दैवीय बच्चों को जन्म देने के लिए यज्ञ किया। अग्नि देवता प्रकट हुए और यज्ञ के प्रसाद के रूप में राजा
दशरथ को उनकी इच्छा पूरी करने के लिए
पवित्र खीर का कटोरा दिया। एक चील ने खीर
का एक हिस्सा छीन लिया और उसे उस स्थान
पर छोड़ दिया जहां अंजना ध्यान कर रही थी
और वायु के देवता पवन देव ने उनके हाथों में
गिराने में सहायता की। अंजना ने दिव्य खीर
खाने के बाद भगवान हनुमान जी को जन्म
दिया। भगवान हनुमान को रुद्रावतार या भगवान शिव के अवतार के रूप में भी जाना जाता है। और पवन देव उनके मानस पिता माने गए हैं। वह दिन चैत्र के पूर्णिमा का दिन था। जब अंजना ने भगवान हनुमान जी को
जन्म दिया था। इस दिन प्रत्येक वर्ष भक्त हनुमान मंदिरों में इकट्ठा होकर इनकी पूजा करते हैं। लोग इसलिए भी भगवान हनुमान जी की पूजा करते हैं ताकि वे अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा पैदा कर सकें और बुरी शक्तियों और आत्माओं से मुक्त हो सकें। प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती पारंपरिक उत्साह
के साथ चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाई
जाती है। क्योंकि भगवान हनुमान का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था इसलिए उनका जन्मोत्सव सूर्योदय पूर्व से प्रारंभ होकर दिवस
परयंत् अर्थात सूर्यास्त पश्चात तक चलता है।
ऐसा कहा जाता है कि जब हनुमान सबसे
पहले भगवान राम से उनके निर्वाचन के दौरान
जब वह अपनी पत्नी सीता खोज रहे थे
जिनका लंका के राजा रावण के द्वारा अपहरण
कर लिया गया था ब्राह्मण के रूप में मिले थे।
भगवान राम को हनुमान की बुद्धि ने बहुत
प्रभावित किया था कि उन्होंने अपनी टिप्पणी
की थी कि मैं बुद्धिमान व्यक्ति से मिल रहा हूं
और उसे गले लगा लिया। भगवान हनुमान
प्रसन्न जीवन जीने के लिए बहुत सी बातें
सिखाते हैं। उनका पूरा जीवन काल हमें बहुत
सी चीजें सिखाता है। जो शायद भौतिकवाद के वर्तमान युग में भी अच्छे जीवन के लिए बहुत सारे सबक देते हैं। भगवान हनुमान हमें भक्ति सिखाते हैं। गंध स्वाद दृष्टि स्पर्श और श्रवण पांच इंद्रियों को कैसे मजबूत किया जा
सकता है विश्वसनीय बनाना शक्ति शाली परंतु
विनम्र बनना संकट में लोगों की स्वेच्छा से
मदद करना जीवन की कठिनाइयों को कैसे दूर
किया जा सकता है भगवान हनुमान गुणों का
प्रतीक हैं। अखंडता वीरता बुद्धि शक्ति धैर्य
और ज्ञान। वह बुद्धिमानों के बीच सर्वोच्च हैं यदि कोई व्यक्ति आदर्श भक्ति युक्त हनुमान के तीन प्रमुख गुणों पतिव्रत भक्ति व भक्ति और नैतिक ब्रम्हचर्य अंगीकार करता है उसे जीवन भर किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता है।
हनुमान जी का चरित्र हमें उन अनगिनत शक्तियों का भान कराता है जो हम में से प्रत्येक के अंदर अप्रयुक्त है। हनुमान ने अपनी सभी शक्तियों को भगवान राम के प्यार से
समन्वित किया और उनकी असीम प्रतिबद्धता
को उन्होंने अंतिम लक्ष्य बनाया और वह सभी
शारीरिक थकावट से मुक्त हो गए। हनुमान जी
की एकमात्र कामना सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान श्री राम की सेवा करने की है। हनुमान
उत्कृष्ट दया भाव समर्पण का प्रतीक है। ऐसा चरित्र मिलना कठिन है जो इतना सक्षम इतना
ज्ञानी विद्वान विनीत और रोचक है। रामायण
और महाभारत के महत्वपूर्ण किंबदंतीयों में
हनुमान जी का उल्लेखनीय रूप से उल्लेख किया गया है।हनुमान जी के 12 नामों का स्मरण तो प्रत्येक
दिन करना चाहिए। ओम हनुमान अंजनी सुनु
वायु पुत्रो महाबल: ।
श्री रामेष्ट: फाल्गुन: शख:
पिंगाक्क्षोमतिविक्रमः ।।
उदधि क्रमणस्वैव सीताशोकविनाशन: ।
लक्ष्मण प्राणदातास्व दशग्रीवस्य दर्पहाः ।।
द्वादैशैतानि नामानि कपीनद्रस्य महात्मना ।
स्वापकाले प्रबोधेच् यात्रा कालेचयतपठेत।
तस्यसर्वम भयंनाश्ति रणेच् विजयी भवेत्।।
धनं धान्यं भवेत् सः
दुख: नैव कदाचन:।।
अर्थात हनुमान जी के इन 12 नामों का स्मरण
जो व्यक्ति सोते समय प्रबोधेच अर्थात प्रातः
जागते समय एवं यात्रा करते समय करता है।
उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। और
रण में विजयी होता है। धन-धान्य से परिपूर्ण
होता है और दुख उसके जीवन में कभी नहीं
आता है।
*लेखक आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।*

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