बहुत महत्वपूर्ण है भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव। परंतु इस रात्रि को चंद्रमा को देखना है अशुभ। बेवजह लग सकता है चोरी का आरोप।
शुभ मुहूर्त -: इस बार दिनांक 7 सितंबर 2024 दिन शनिवार को श्री गणेश जन्मोत्सव पर्व मनाया जाएगा। इस दिन चतुर्थी तिथि 29 घड़ी 15 पल अर्थात शाम 5:37 तक है। यदि नक्षत्र की बात करें तो चित्रा नक्षत्र 16 घड़ी 36 पल अर्थात दोपहर 12:34 तक है। विष्टि नामक करण अर्थात भद्र 29 घड़ी 15 पल अर्थात शाम 5:37 तक है। इन सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जाने तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण तुला राशि में विराजमान रहेंगे।
यदि पूजा एवं मूर्ति स्थापना के मुहूर्त के बारे में जाने तो इस दिन प्रातः 11:03 से दोपहर 1:34 तक पूजा एवं मूर्ति स्थापना का मुहूर्त है। इसके अलावा इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है जो प्रातः 9:30 बजे से रात्रि 8:45 तक है। अतः इस दौरान चंद्रमा के दर्शन ना करें।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतु्थी तिथि को रात्रि को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। इस दिन भूलकर भी चंद्रमा को
नहीं देखना चाहिए। यदि भूलवश किसी व्यक्ति ने रात को चांद देख लिया तो उस पर बेवजह अर्थात अकारण चोरी करने का आरोप लग सकता है। एक पौराणिक
कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश
जी अपने पसंदीदा मोदक और लड्डू खा रहे थे। उनके अधिक मात्रा में लड्डु खाते देख और उनका लंबोदर एवं गजमुख को देखकर चंद्रमा को हंसी आ गई। चंद्रमा के ऐसे व्यवहार को देखकर गणेश जी
नाराज हो गए और चॉद से कहा कि तुम्हें अपने रूप का घमंड है इसलिए
तुम्हारा क्षय हो जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं जो आज रात तुम्हारा दर्शन करेगा उस पर भी कलंक लग जाएगा। उस दिन
भादो शुक्ल पक्ष चतुर्थी का दिन था।इसलिए इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहते हैं। पुराणों में ऐसा भी कहा गया है
कि एक बार भगवान श्री कृष्ण ने भी इस गणेश चतुर्थी का चांद देख लिया था।उनको भी समयन्तक मणि की चोरी
करने का आरोप से कलंकित होना पड़ा
था। भगवान श्री कृष्ण का भी इस आरोप
से मुक्ति पाने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। देवर्षि नारद जी ने जब भगवान श्री कृष्ण से कहा कि आरोप भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के
रात चंद्रमा को देखने से लगा है। नारद जी ने बताया कि इस रात गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था। कहानी यहीं पर समाप्त नहीं होती है आगे नारद जी
बताते हैं कि गणेश जी के श्राप से चंद्रमा दुखी हो गए और घर में छुप कर बैठ गए। चाँद का दुख देखकर देवताओं ने उन्हें सलाह दी कि मोदक एवं पकवानों से गणेश जी की पूजा करो उन्हें मोदक प्रिय हैं। गणेश जी प्रसन्न हो जाएंगे तो श्राप से मुक्ति भी मिल सकती है। तब चंद्रमा ने गणेश जी की पूजा की उन्हें
प्रसन्न किया। गणेशजी ने कहा श्राप पूरी तरह समाप्त तो नहीं होगा जहां तुम्हारी कलायें घटती जाएंगी और इसी तरह बढ़ती भी जाएंगी। ऐसा इसलिए कि तुम्हें
अपनी गलती हमेशा याद रहेगी। इस घटना से यह ज्ञान गणेश जी ने पूरे विश्व को दिया कि किसी व्यक्ति के रूप रंग पर
हंसना नहीं चाहिए। तब से इस दिन जो भी चन्द्रमा को देखता है उसे भगवान गणेश जी के प्रकोप का सामना करना
पड़ता है। भूलवश अगर चंद्र दर्शन हो जाए तो इसका सिर्फ एक ही निवारण है इसके लिए उस व्यक्ति को श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के अध्याय संख्या 56 तथा 57 में उल्लेखित समयन्तक मणि चोरी की कथा किसी विद्वान पंडित जी
के श्री मुख से कथा का श्रवण करना चाहिए। जिससे चंद्रमा के दर्शन के कारण होने वाले झुठे कलंक के खतरे को कम
किया जा सकता है।
पूजा विधि-:
प्रातः ब्रहम मुहुर्त में उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।तदुपरान्त शोडषोपचार भगवान गणेश जी की पूजा करें । सर्व प्रथम भगवान गणेश
जी को स्नान करायें। पंचामृत स्नान पुनः
शुद्ध जल से स्नान करायें । रोली अक्षत चढ़ाये । गणेश जी को ग्यारह
मोदक या ग्यारह लडडू चढ़ायें। दुर्वांकुर पूजा अर्थात एक एक करके दुर्वा चढ़ायें । फल एवं भेट स्वरूप द्रव्य चढ़ाएं।
लेखक -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।