नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे 2 जनवरी को सेवानिवृत हो रहे हैं । उनके सम्मान में 2 जनवरी को अपरान्ह में मुख्य न्यायधीश की कोर्ट में फुल कोर्ट रिफ्रेंस होगा । हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल विवेक भारती शर्मा की ओर से जारी अधिसूचना में उक्त जानकारी दी गई है ।

न्यायमूर्ति खुल्वे वर्ष 1987 में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए।  उन्होंने बरेली, बदायूं, बिजनौर, नैनीताल और खटीमा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में काम किया। वर्ष 1999 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, शाहजहाँपुर, उसके बाद 2001 से 2003 तक उधम सिंह नगर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट  रहे।  उन्होंने हरिद्वार, हल्द्वानी और रुड़की में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के रूप में भी काम किया। वे औद्योगिक अधिकरण, हल्द्वानी के पीठासीन अधिकारी भी रहे। जुलाई, 2010 में  उनकी जिला न्यायाधीश, उत्तरकाशी के रूप में नियुक्ति हुई। इसके बाद 2013 में सचिव लोकायुक्त बने । जिसके बाद अध्यक्ष, राज्य परिवहन अपील अधिकरण, अध्यक्ष, राज्य वाणिज्यिक कर न्यायाधिकरण और प्रमुख सचिव, विधायी और संसदीय मामले रहे। न्यायमूर्ति खुल्बे  राज्यपाल के कानूनी सलाहकार भी रहे । 03 दिसम्बर 2018 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए और करीब 4 वर्ष हाईकोर्ट के जज रहे ।

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अपने सौम्य व सरल व्यवहार के कारण वे अधिवक्ताओं में काफी लोकप्रिय रहे हैं । मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में पारित कई महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी अहम भूमिका रही है । इनमें 21 जुलाई 2020 को राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा उत्तराखण्ड देवस्थानम बोर्ड को भंग करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका में दिया गया निर्णय, उत्तराखंड में पॉलिथीन में प्रतिबन्ध लगाना, हल्द्वानी में रेलवे की भूमि में हुये अतिक्रमण को हटाने आदि पर दिए गए निर्णय मुख्य हैं ।

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