नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शुभ्रा कांडपाल के खिलाफ दर्ज एस सी,एस टी एक्ट के मुकदमे को निरस्त कर दिया है ।
मामले के अनुसार डॉ0 शुभ्रा कांडपाल ने 19 सितम्बर 2021 को अपने कॉलेज के प्राध्यापक डॉ0 बी आर पन्त,डॉ0विनय कुमार विद्यालंकार,डॉ0 नवल किशोर लोहनी,डॉ0 शिवनारायण सिद्ध व डॉ0 सुरेश टम्टा के खिलाफ छेड़छाड़ का मुकदमा हल्द्वानी थाने में दर्ज कराया । जबकि उसी दिन इन्ही प्राध्यापकों ने डॉ0 शुभ्रा कांडपाल के खिलाफ आई पी सी की धारा 504,506 व एस सी एस टी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया । डॉ0 कांडपाल पर आरोप था कि 13 मार्च 2021 को उन्होंने डॉ0 बी आर पन्त,डॉ0 विनयकुमार विद्यालंकार,डॉ0 नवल किशोर लोहनी,डॉ0 शिवनारायण सिद्ध व डॉ0 सुरेश टम्टा के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी और डॉ0 सुरेश टम्टा के खिलाफ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया । आरोप है कि डॉ0 शुभ्रा कांडपाल का किसी अन्य मामले में कॉलेज के प्राचार्य के साथ विवाद था और वे अन्य प्राध्यापकों से उनके मामले में प्राचार्य का पक्ष न लेने को कह रही थी ।
इस मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश एस सी एस टी एक्ट नैनीताल ने 8 फरवरी 2022 को डॉ0 शुभ्रा कांडपाल के खिलाफ आई पी सी की धारा 504 व 506 और एस सी एस टी एक्ट के अंतर्गत सम्मन जारी किया था । इस सम्मन को डॉ0 शुभ्रा कांडपाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । इस मामले में हाईकोर्ट के न्यायधीश रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2020 में हितेश वर्मा व अन्य मामले में पारित आदेश को आधार मानते हुए डॉ0 शुभ्रा कांडपाल पर लगे एस सी एस टी एक्ट के सम्मन को निरस्त कर दिया ।

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