हल्द्वानी ।  राज्य के शिक्षा महानिदेशक  बंशीधर तिवारी द्वारा बीते रोज शनिवार को जारी एक आदेश में यह चेतावनी दिये जाने के बाद कि निदेशक स्तर के अधिकारी के अलावा और किसी अधिकारी या संघ द्वारा विभाग के बारे में मीडिया में कोई बयान दिया तो उसके विरुद्ध कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत कार्यवाही की जायेगी , से समूचा कार्मिक समुदाय आगबबूला हो गया है । उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच की आज हुई वर्चुअल मिटिंग में इस आदेश को अलोकतांत्रिक व तानाशाही का प्रतीक बताते हुए घोर निन्दा की गई । बैठक में दो टूक चेतावनी दी गई कि यदि एक सप्ताह के भीतर इस तुगलकी फरमान को वापस नहीं लिया गया तो इसकी होली जलाकर बृहद आन्दोलन छेड़ा जायेगा ।


एकता मंच के संस्थापक अध्यक्ष रमेश चन्द्र पाण्डे की अध्यक्षता एंव महासचिव दिगम्बर फुलोरिया के संचालन में हुई बैठक में वक्ताओं ने महानिदेशक शिक्षा की ओर से कार्मिक संघो द्वारा मीडिया में बयान देने पर लगाई गयी रोक को संविधान के अनुच्छेद 19 में निहित अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार के खिलाफ बताया । वक्ताओं ने आरोप लगाया कि शिक्षा विभाग द्वारा अटल उत्कृष्ट आदर्श विधालयों के निराशाजनक परिणामों को लेकर अपनी नाकामी को छुपाने के लिए ऐसे तुगलकी आदेश जारी किये गये हैं । इन विधालयों में प्रधानाचार्य व शिक्षकों के अधिकांश पद खाली हैं । अंग्रेजी माध्यम का नहीं होने के बाद भी अधिकांश शिक्षको को उनकी सहमति के बिना जबरन तैनात किया है । मानक के अनुसार व्यवस्थाएं चाक-चौबंद नहीं होने से परीक्षाफल निम्न रहा लेकिन इसके लिए सम्बन्धित विषय के शिक्षकों का स्पष्टीकरण लेकर प्रशासनिक कार्यवाही व अवकाश पर रोक के आदेश जारी कर विभाग द्वारा अपनी नाकामी पर पर्दा डाला जा रहा है ।
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि विभाग की अकर्मण्यता के चलते हजारों प्रकरण न्यायालय में लम्बित हैं , प्रमोशन के प्रकरण लटके हैं , राज्य के पचास फीसदी विधालयों में प्रधानाचार्य के पद खाली हैं ऐसे ही प्रवक्ता के पद भी खाली पड़े हैं ।
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि बेसिक से एलटी में समायोजित शिक्षको के चयन प्रोन्नत वेतनमान का मामला वर्षो से लटका है । इस मामले में सरासर पीक एण्ड चूज की नीति अपनाई जा रही है । कमोबेेश ट्रांसफर एक्ट के क्रियान्वयन मे भी विसंगतियां बनी हुई हैं ।
विकास मे बाधक हडताल जैसे अप्रिय आन्दोलनों के प्रति जवाबदेही के सवाल को लेकर मुखर कार्मिक एकता मंच के अध्यक्ष रमेश चंद्र पाण्डे ने कहा कि राज्य प्राप्ति के आन्दोलन मे ऐतिहासिक भूमिका निभाने वाला समूचा कार्मिक समुदाय शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस तुगलकी फरमान से घोर आश्चर्य व गुस्से में है । कहा कि राज्य बनने के बाद राज्यपाल के पहले अभिभाषण में राज्य बनाने मे कार्मिको की भूमिका को सराहा गया था लेकिन बाद मे अपने ही सेवा सम्बन्धी मामलो को लेकर उठायी जाने वाली आवाज को जिस प्रकार दबाने की कोशिशें होती रही उससे कार्मिक समुदाय खुद को ठगा सा समझने लगा ।
आवाज दो हम एक हैं के नारे को शहीदों का मूल सपना बताते हुए उन्होंने कहा कि कि इस सपने को साकार करने के मूल उद्देश्य से ही विचार मंच के रुप में कार्मिक एकता मंच का उदय हुआ है । उन्होने कहा कि कोर्ट के आदेश पर शासन द्वारा सभी विभागाध्यक्षों को शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन कर नियमित रुप से हर तीसरे माह बैठक कर उनमें कार्मिक संघो को भी बुलाने के आदेश दिये थे लेकिन चार अनुस्मारक जारी हो जाने के बाद भी पालन नहीं हो रहा है । संंवादशून्यता के चलते मामले सालों से लटके हैं ।लिखित आश्वासन के बाद भी अधिकारी वादाखिलाफी कर रहे है ।
एकता मंच के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धीरेन्द्र पाठक, महासचिव दिगम्बर फुलोरिया एवं गढवाल के मण्डलीय संयोजक सीताराम पोखरियाल ने समूचे कार्मिक समुदाय से अपने वजूद के लिए ऐसे तुगलकी फरमान के खिलाफ एकजुुट होकर आरपार की लडाई के लिए तैयार रहने का आह्वान किया ।
बैठक को गणेश सिंह भण्डारी रमेश लाल वर्मा, शैलेन्द्र सिंह राणा, हर्षवर्धन शुक्ला बालादत शर्मा,हरीश गैरोला आनन्द सिंह मनोज कोहली मनवीर सिंह रावत,गोविन्दी देवी,प्रेमा असवाल, नेहा सैनी, पूनम गौसाई,,आरती जैन,रूप सिंह सतीश सिंह सुन्दर नेगी,वेद पन्त, वीरेन्द्र कुमार अन्जु रयाल डा.आरती सैनी, जगवीर चन्द्र, योगेश कोठारी ,रघुबीर सिंह, प्रदीप कुमार, पुरुषोत्तम धीमान, आदि ने सम्बोधित किया ।

By admin

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