नैनीताल । नन्दाष्टमी पर्व पर रविवार को माँ नन्दा सुनन्दा की  ब्रह्ममुहूर्त में भव्य मूर्तियों को मंडप में सजाया गया और आचार्य भगवत प्रसाद जोशी ने विधि विधान से माँ नन्दा सुनन्दा की मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा कराई । जिसके बाद उन्हें श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिया गया । इससे पहले ही वहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी ।

मन्दिर परिसर में शांति व सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गई है । यहां चप्पे चप्पे में पुलिस तैनात हैं । श्रीराम सेवक सभा के पदाधिकारी धार्मिक अनुष्ठान को सफल बनाने में जुटे हैं ।

दूसरी ओर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी में बकरों को बलि के लिये लाये हैं । सुबह 9 बजे तक 80 से अधिक लोगों ने बकरों की बलि के लिये पंजीयन कराया था । हाईकोर्ट ने बकरों की बलि के लिये अस्थायी स्लॉटर हाउस बनाने को कहा था । लेकिन अस्थायी स्लॉटर हाउस न बनने से लोग बकरे मंदिर में ला रहे थे । जिन्हें लोग वापस ले जा रहे थे । जिनकी बलि उन्होंने मेट्रोपोल होटल क्षेत्र अथवा अपनी सुविधानुसार अपने घरों में दी ।

 

 

कथा-: माँ नन्दा सुनन्दा  । आलेख -आचार्य पंडित प्रकाश चन्द्र जोशी ।

शुभ मुहूर्त-:
इस बार दिनांक 31 अगस्त 2025 दिन रविवार को नंदा अष्टमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन यदि अष्टमी तिथि की बात करें तो 47 घड़ी 45 पल अर्थात मध्य रात्रि 12:58 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी। अनुराधा नामक नक्षत्र शाम 5:27 बजे तक है। इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे।

ALSO READ:  कल 31 अगस्त को हैं दो महत्वपूर्ण परीक्षाएं । प्रशासन ने की व्यापक तैयारियां ।


नंदा सुनंदा की कथा।-:
भविष्य पुराण में जिस दुर्गा के बारे में बताया गया है उनमें महालक्ष्मी नंदा सेमकरी शिव दूती भ्रामरी चंद्र मंडला रेवती और हरसिद्धि है। मां नंदा देवी देव भूमि उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले में स्थित और विख्यात है। इतिहास के अनुसार अगर देखा जाए तो नंदा गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुमाऊं के कत्यूरी राजवंश व चंद्र शासकों की भी इष्ट देवी है। इसी कारण नंदा देवी को राजराजेश्वरी कहकर भी संबोधित किया जाता है। नंदा देवी को मां पार्वती की बहन के रूप में भी जाना जाता है। और कहीं कहीं तो नंदा देवी को ही पार्वती का रूप माना गया है। यदि देव भूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में नंदा देवी की पूजा की बात करें तो अल्मोड़ा में नंदा देवी की पूजा तारा शक्ति के रूप में होती है। और चंद्र शासकों के वंशज ही इस पूजा को कराते हैं। कत्यूरी और चंद् शासनकाल में देवी को युद्ध देवी के रूप में पूजने की परंपरा अत्यधिक प्रचलित रही है। आज भी चंद शासकों के वंशज नंदा अष्टमी के मौके पर परंपरा के अनुसार पूजा करवाते हैं। यह पूजा तारा यंत्र के सामने होती है। ऐसा माना जाता है कि यह यंत्र राज परिवार के पास ही है। और राज परिवार से अपने साथ ही लेकर आता है।
बुजुर्ग जानकारों के अनुसार यह भी माना गया है कि तारा की उपासना मुख्यतः तांत्रिक प्रद्धति से होती है। यह भी माना जाता है कि नंदा सुनंदा की चोटी का स्वरूप नंदा देवी की चोटी के स्वरूप से आया। नंदा देवी मंदिर की स्थापना का यदि पौराणिक इतिहास जाने तो नंदा देवी मंदिर के पीछे कई ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हैं। और इस जगह में नंदा देवी को प्रतिष्ठित करने का श्रेय चंद शासकों का है। देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं में मां नंदा की पूजा का क्रम चंद शासकों के समय से माना जाता है।

ALSO READ:  ब्लॉक प्रमुख,ज्येष्ठ प्रमुख,कनिष्ठ प्रमुखों के शपथ ग्रहण को लेकर एक और आदेश जारी ।

एक अन्य कथा के अनुसार चंद राजा की दो बहने नंदा व सुनंदा एक बार देवी के मंदिर जा रही थी। तभी एक राक्षस ने भैंस का रूप धारण कर उनका पीछा करना प्रारंभ कर दिया। इस से डरी हुई दोनों बहने केले के पत्तों के बीच जाकर छुप गई। तभी एक बकरे ने आकर केले के पत्तों को खा लिया और भैसे ने दोनों बहनों को मार डाला। बाद में यह दोनों अतृप्त आत्माओं के रूप में दोनों बहनों ने चंद राजा को मां नंदा देवी मंदिर स्थापित कर पूजा अर्चना करने को कहा था। ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके। तभी से मां नंदा सुनंदा की पूजा अर्चना होने लगी। धीरे-धीरे संपूर्ण देवभूमि में कई स्थानों पर भव्य महोत्सव का आयोजन होने लगा।
मां नंदा सुनंदा की कृपा आप हम सभी पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।

आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल

Ad Ad Ad

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You missed

You cannot copy content of this page