समलैंगिक सम्बन्धों के आधार पर तलाक का देशभर में पहला मामला होने का अनुमान ।
नैनीताल । विवाह विच्छेद के एक अहम मामले में अपर प्रधान न्यायाधीश हल्द्वानी धर्मेंद्र कुमार सिंह की अदालत ने पत्नी के समलैंगिक (लेस्बियन) होने व पति को दी गई मानसिक क्रूरता के आधार पर पति द्वारा दायर तलाक की अर्जी स्वीकार की है । जो पत्नी के समलैंगिक होने के आधार पर पति द्वारा तलाक देने का देश में अब तक का पहला मामला है ।
मामले के अनुसार वर्ष 2016 में दिल्ली निवासी एक युवक की उत्तराखंड निवासी महिला से विवाह हुआ था । लेकिन विवाह के पश्चात से ही दोनों के मध्य वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं हुए। जिसका प्रमुख कारण पत्नी का किसी अन्य महिला के साथ लेस्बियन के तौर पर समलैंगिक रिश्ते होना था । साथ ही पति द्वारा अपनी पत्नी पर नशे का आदि होने का आरोप लगाया गया। जिसके बाद माह जुलाई 2018 में पति द्वारा अपनी पत्नी के विरुद्ध परिवार न्यायालय साकेत दिल्ली में विवाह विच्छेद याचिका दाखिल की गई थी । लेकिन पत्नी द्वारा उत्तराखंड निवासी होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय से उक्त याचिका को परिवार न्यायालय हल्द्वानी में स्थानांतरण कर लिया गया। जिसके उपरांत उक्त तलाक के बचाव में पत्नी द्वारा 15 सितम्बर 2019 को पति तथा उसके परिवार वालों के विरुद्ध दहेज उत्पीड़न, अप्राकृतिक यौन शोषण, सहित कई आरोप लगाकर धारा 377,498(ए), 354 आई पी सी व 3/4 दहेज अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया । जिस कारण पति को इस दौरान जेल भी जाना पड़ा। जबकि पत्नी 10 फरवरी 2018 को ससुराल छोड़कर अपने मायके आ गई थी।
मामले के विचारण के दौरान पति के विरुद्ध अप्राकृतिक सम्बन्ध बनाने के आरोप को न्यायालय द्वारा हटा दिया गया। जिसमे पति द्वारा न्यायालय में साक्ष्य के तौर पर तीन मोबाइल फोन मूल रूप में प्रस्तुत किये । इसके अतिरिक्त पेन ड्राइव को धारा 65 बी भारतीय साक्ष्य अधिनियम के साथ प्रस्तुत किया गया। जिसमें मौजूद आपत्तिजनक फोटो, व्हाट्सएप चैट, ऑडियो रिकॉर्डिंग आदि के आधार पर परिवार न्यायालय हल्द्वानी द्वारा संपूर्ण विचारण के उपरांत पत्नी को उसकी महिला मित्र के साथ लेस्बियन के तौर पर समलैंगिक रिश्ते में संलिप्त पाया। पत्नी के समलैंगिक रिश्ते के कारण पति को असहनीय मानसिक क्रूरता सहन करनी पड़ी तथा पत्नी की तरफ से दिए गए समस्त साक्ष्य तथा आरोप झूठे पाए जाने के कारण पति को मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक दे दिया गया।
लगभग सात वर्षों तक लंबी कानूनी लड़ाई के उपरांत पति को अपनी पत्नी से तलाक मिला जो कि अपने आप में अभी तक का विशेष मामला है।