भीमताल। भारतीय शिक्षण मंडल के 10 दिनी संयोगी शिविर का गुरूवार को  ग्राफिक एरा भीमताल परिसर में समापन समारोह आयोजित किया गया। समारोह के मुख्यातिथि योगगुरु स्वामी रामदेव रहे। कार्यक्रम की शुरूआत में स्वागत गीत और अतिथि सत्कार के साथ की गई। इसके साथ ही आचार्य ज्ञानेन्द्र  ने गुरूकुल शिविर आयोजन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुये गुरूकुल की महत्ता को उजागर किया।
कार्यक्रम में  बच्चों ने बीते 10 दिनों में सीखी हुई कलाओं का मंच पर सूर्य नमस्कार कत्थक, सुभाष चन्द्र बोष जी के जीवन चरित्र पर अभिनय प्रस्तुति, प्रगत योग, कलिरय पट्टू एवं भरतनाट्यम नृत्य का मंचन किया। तत्पश्चात्  आचार्य ज्ञानेन्द्र  एवं समस्त छात्र-छात्राओं द्वारा श्रीमद्भगवत गीता का पाठ किया गया।
 इस दौरान संस्थान के अध्यक्ष  प्रो० कमल घनशाला ने  भारतीय शिक्षण मण्डल की कार्यपद्धति पर प्रकाश डालते हुये बताया कि इस शिविर में देश भर से कुल 69 बच्चों ने प्रतिभाग करते हुये उच्च आदर्शों को सीखा।
जिसके बाद उमाशंकर पचौरी  ने सम्बोधित करते हुये बताया कि भारतीय शिक्षण मण्डल का मुख्य उद्देश्य माँ भारती को विश्व गुरु बनाने के साथ-साथ भारतीय गुरूकुल पद्धति को विश्व की शिक्षा पद्धति बनाना है। जिसका बीज बोया जा चुका है और 2035 तक पूरा विश्व गुरूकुल पद्धति को अपनी शिक्षा पद्धति में अपना चुका होगा।  पचौरी  ने कहा कि संस्कृत भाषा को सीखने से मतिष्क परिष्कृत हो जाता है और भगवत गीता के अध्ययन से आप निष्काम कर्म एवं ज्ञान योग सीखते हैं उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे सभी पाठ्यक्रमों में योग व अध्यात्म को जोडा जायेगा और गुरुकुल शिक्षा को विश्व की सर्वप्रमुख शिक्षा पद्धति के रूप में स्थापित किया जायेगा।
इस दौरान मुख्यातिथि योगगुरू स्वामी रामदेव  ने  बताया कि उनकी शिक्षा दिक्षा आचार्य बलदेव  के सानिध्य में हुयी। अपनी गुरुकुल शिक्षा पद्धति में उन्होंने प्रतिदिन 18 घन्टे पुरुषार्थ करने का भाव जागृत किया योग पर प्रकाश डालते हुय आपने बताया कि योग केवल शारिरिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि यह आपको जीवन जीने की कला सीखाता है उन्होंने बताया कि यह गुरुकुल शिक्षा पद्धति का प्रभाव ही है कि वह आज योग के साथ-साथ 40 हजार करोड़ टर्न ओवर की कम्पनी चलाते हुये परमार्थ के कार्य में लगे हुये हैं, बताया की  शरीर ही व्यक्ति की व्यक्तिगत पूंजी है और योग करके व्यक्ति की आयु को बढ़ाया जा सकता है।
 आचार्य रामदेव  ने बताया कि गुरुकुल शिक्षा में महिला सम्मान की भावना को सीखाया जाता है, उन्होंने बताया कि व्यक्ति को माता-पिता में श्रद्धा, पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता एवं पूर्व स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति गौरव भाव, आत्म गौरव का भाव, परमार्थ का भाव, समृद्धि के साथ-साथ संस्कार आदि सभी चीजें गुरूकुल शिक्षा में दी जाने वाली प्रमुख शिक्षा हैं, बताया कि यदि पूरे देश में गुरूकुल शिक्षा पद्धति को लागू कर दिया जाय तो निश्चित ही स्वर्ण जंयती 2047 तक भारत विश्व की आर्थिक एवं आध्यात्मिक शक्ति बनेगा।
समारोह में परिसर निदेशक प्रो. (डॉ. एमसी  लोहानी, प्रशासनिक प्रमुख कर्नल एएन  सोनी (सेवानिवृत),  मुकुल कानिटकर,  आचार्य ज्ञानेन्द्र सापकोटा, भारतीय शिक्षण बोर्ड के अध्यक्ष  एम0पी0 सिंह, अ०मा०कोष प्रमुख डॉ० राजेन्द्र पाठक, सह कोष प्रमुख  देवेन्द्र पवार, कोष प्रमुख भारतीय शिक्षण मण्डल डॉ० महेश मनचन्दा, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० (ओ०पी०एस० नेगी, अ०मा० कार्यालय सहप्रमुख  गजराज डवास, सहसम्पर्क प्रमुख पुष्पेन्द्र राठी, कार्यालय प्रमुख सांभवी  प्रान्त प्रमुख  संदीप विजय, परिसर निदेशक प्रो० डॉ० एम०सी० लोहानी, प्रशासनिक प्रमुख कर्नल ए०एन० सोनी (रिटायर्ड), समस्त विभागाध्यक्ष, स्टाफ एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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