नैनीताल ।  उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जल विद्युत उत्पादन पर जल कर लगाए जाने के खिलाफ दायर  विशेष अपीलों में सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने याचिका कर्ता कम्पनियों से छः सितम्बर तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 6 सितम्बर की तिथि नियत की है। पूर्व में एकलपीठ ने  एक्ट को सही ठहराते हुए विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कम्पनियों द्वारा दायर  याचिकाओं को खारिज कर दिया था ।
     मामले के अनुसार राज्य बनने के बाद उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य की नदियों में जल विद्युत परियोजनाएं लगाए जाने हेतु विभिन्न कम्पनियों को आमंत्रित किया था और उत्तराखण्ड ,उत्तर प्रदेश राज्यों व जल विद्युत कम्पनियों के मध्य करार हुआ । जिसमें तय हुआ कि कुल उत्पादन के 12 फीसदी बिजली उत्तराखण्ड को निशुल्क दी जाएगी । जबकि शेष बिजली उत्तर प्रदेश को बेची जाएगी । लेकिन 2012 में उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखण्ड वाटर टैक्स ऑन इलैक्ट्रिसिटी जनरेशन एक्ट बनाकर जल विद्युत कम्पनियों पर वायर की क्षमतानुसार 2 से  10 पैंसा प्रति यूनिट वाटर टैक्स लगा दिया । जिसे अलकनन्दा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड, टी एच डी सी,एन एच पी सी,स्वाति पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड,भिलंगना हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट,जय प्रकाश पावर वेंचर प्राइवेट लिमिटेड आदि ने हाईकोर्ट में चुनौती दी । हाईकोर्ट ने ये याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि विधायिका को इस तरह का एक्ट बनाने का अधिकार है । यह टैक्स पानी के उपयोग पर नहीं बल्कि पानी से विद्युत उत्पादन पर है जो संवैधानिक दायरे के भीतर बनाया गया है  ।

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