इस बार 30 मार्च 2025 रविवार से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होंगे। नवरात्र में इस बार माता रानी का वाहन हाथी होगा। वैसे तो माता का वाहन शेर है इसलिए उसे सिंह वाहिनी भी कहते हैं परंतु नवरात्र में माता रानी अलग-अलग वाहनों से आती है।
देवी भागवत के अनुसार- *शशि सूर्य गजरूढ़ा शनि भौमे तुरंगमे।*
*गुरु शुक्रे च दौलायां बुधे नौका प्रकीर्तिता। ।*
अर्थात यदि नवरात्रि रविवार सोमवार से प्रारंभ हो तो माता रानी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है। शनि मंगल को घोड़े पर,गुरु एवं शुक्र को डोली पर तथा बुध को नाव में सवार होकर आती है।माता किस वाहन पर आएंगी और जाएंगी, यह
नवरात्रि के आरंभ और समाप्ति के दिन पर
निर्भर करता है। अगर नवरात्रि रविवार या
सोमवार से शुरू और खत्म हो रही है, तो माता
हाथी पर आती और जाती हैं। यह सुखसमृद्धि
और अच्छी बारिश का संकेत है।वहीं अगर नवरात्रि मंगलवार या शनिवार से शुरू या समाप्त होती है तो ऐसे में माता घोड़े पर आती और घोड़े पर ही वापस जाती हैं। इसे संघर्ष और उथल-पुथल का संकेत माना जाता है।
यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू या
समाप्त हो रही है तो, ऐसे में माता पालकी पर
आती और जाती हैं। यह वाहन अस्थिरता और
चुनौतियों का संकेत देता है।इसके अलावा अगर नवरात्रि बुधवार से शुरू
और समाप्त होती है, तो माता नौका पर आती
और जाती हैं, जिससे आपदा से मुक्ति और
जीवन में शांति का प्रतीक माना गया है।

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30 मार्च 2025 दिन रविवार को यदि घट स्थापना या कलश स्थापना की बात करें तो इस दिन प्रातः 6:13 बजे से प्रातः 10:22:00 तक घट स्थापना का शुभ मुहूर्त है।
आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी।

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