धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, इस योग में खरीदारी करना मंगलकारी माना जाता है। यह योग प्रातः 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है।
उदया तिथि के
अनुसार धनतेरस का पर्व दिन मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को
मनाया जाएगा।धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस शुभ अवसर पर भगवान धनकुबेर और भगवान धन्वन्तरि की पूज़ा-अर्चना करने का विधान है। पौराणिक
कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि कलश लेकर समुद्र से अवतरित हुए थे। इसी वजह से उनके
प्रकटोत्सव के रूप में धनतेरस का पर्व देशभर में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि को औषधि और चिकित्सा का देवता माना जाता है।
इस पर्व को मनाने की दूसरी कथा जगत के
पालनहार भगवान विष्णु के वामन अवतार
से जुड़ी हुई है। इस कथा का उल्लेख भागवत पुराण में देखने को मिलता है। कथा के अनुसार, कातिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर वामन अवतार ने असुरराज बलि से दान में तीनों लोक को मांगा था और देवताओं को
उनकी खोई हुई संपति और स्वर्ग प्रदान किया था। इसी वजह से हर साल दीवाली से पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
*महत्वपूर्ण मंत्र*
ॐ नमो भगवते महा सुदर्शनाय वासुदेवाय
धन्वंतराये:अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री
महाविष्णुस्वरूप श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।।
*शुभ मुहूर्त*
इस दिन यदि तिथि की बात करें तो 10 घड़ी 14 पल अर्थात प्रातः 10:32 बजे तक द्वादशी तिथि रहेगी तदुपरांत त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी। यदि नक्षत्र की बात करें तो उत्तरा फाल्गुनी नामक नक्षत्र 30 घड़ी 19 पल अर्थात शाम 6:34 बजे तक है यदि इस दिन के योग के बारे में जानें तो इस दिन ऐंद्र नामक योग तीन घड़ी 23 पल अर्थात प्रातः 7:48 बजे तक है। यदि करण के बारे में जानें तो इस दिन तैतिल नामक करण 10 घड़ी 14 पल अर्थात प्रातः 10:32 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रूपेण कन्या राशि में विराजमान रहेंगे।
*खरीदारी का शुभ मुहूर्त*
धनतेरस के दिन अभिजीत मुहुर्त में आप खरीदारी कर सकते हैं
इस मुहूर्त में खरीदारी करने से धन- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। यह मुहुर्त 29 अक्टूबर
के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12
बजकर 27 मिनट तक रहेगा, इस बीच में
खरीदारी कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त शुभ मुहूर्त संध्या 6:36 से अगले दिन प्रातः 08:32
बजे तक रहेगा जो प्रदोष काल का है।यह मुहुर्त सबसे उत्तम और शुभ माना जाता है।
इस बार धनतेरस पर्व पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। प्रिय पाठको की जानकारी हेतु बताना चाहूंगा कि यह त्रिपुष्कर योग कैसे बनता है।
*कब बनता है ‘त्रिपुष्कर योग’?*
जब रविवार, मंगलवार व शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी व द्वादशी में से कोई तिथि हो एवं इन 2 योगों के साथ उस दिन
विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा,पूर्वाभाद्रपद, पुनर्वसु व कृत्तिका नक्षत्र हो,तब ‘त्रिपुष्कर योग’ बनता है। चूंकि इस दिन मंगलवार द्वादशी तिथि युक्त उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र है इसलिए त्रिपुष्कर योग बन रहा है।जिस प्रकार द्वि पुष्कर योग में दोगुना फल प्राप्त होता है ठीक इसी प्रकार त्रिपुष्कर योग में तीन गुना फल प्राप्त होता है ‘द्विपुष्कर योग की भांति ही ‘त्रिपुष्कर योग’ में भी
जिस कार्य को किया जाता है, वह 3 गुना
फल देता है।
‘त्रिपुष्कर योग’ का भी शुभाशुभ से कोई
सीधा संबंध न होकर उस दिन के आनंदादि योग के फल को त्रिगुणित अर्थात 3 गुना करने से है। प्रिय पाठकों को सचेत करते हुए एक और महत्वपूर्ण बात बताना चाहूंगा कि ‘त्रिपुष्कर योग’ वाले दिन यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो उसके फल में 3 गुना वृद्धि तो होती है, वहीं इस योग वाले दिन यदि कोई अशुभ मुहूर्त बना हो तो वह भी अपनी अशुभता में 3 गुना वृद्धि करता है। क्योंकि अनेकों भक्त पूर्ण जानकारी के अभाव में कलैन्डर या पंचांग में मात्र त्रिपुष्कर योग देखकर कार्य करने लगते हैं और मुहूर्त की जानकारी नहीं रखते हैं जो कि हानि कारक सिद्ध हो सकता है।
अत: ‘त्रिपुष्कर योग’ वाले दिन मुहुर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि एवं धन के देवता कुबेर महाराज की कृपा आप और हम सभी पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो। आप सभी को धनतेरस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
*आलेख -: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल*