नैनीताल । जाने माने लोक गायक प्रकाश फुलारा की के निधन से संगीत प्रेमियों में शोक व्याप्त है । प्रकाश फुलारा विगत रात्र दिल्ली से अपने गांव द्वाराहाट जा रहे थे । किंतु रामनगर के ढिकुली के पास उनकी कार एक नाले में बह गई थी । जिसमें वे गम्भीर रूप से घायल हो गए थे । जिन्हें इलाज के लिये हल्द्वानी ले जाया जा रहा था । किंतु रास्ते नें ही उनकी मौत हो गई है। बताया गया है कि वे अपने गांव गनोली बाबन द्वाराहाट जा रहे थे ।
पुलिस सूत्रों के अनुसार मंगलवार की देर रात मूसलाधार बारिश हुई और कॉर्बेट के जंगल से आए पानी से ढिकुली स्थित बरसाती नाला उफान पर आ गया। नाले में दिल्ली की ओर से आ रही टाटा सूमो संख्या यूके-01टीए-3155 बह गई। रात करीब दो से ढाई बजे के आसपास स्थानीय लोगों ने टाटा सूमो में सवार लाेगों को किसी तरह बाहर निकाला। इस दौरान दो लोग कार के साथ आगे बह गए, बाद में मौके पर पहुंचे फायर कर्मियों ने कार से दोनों को निकाला। सभी को रामनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां एक प्रकाश चंद्र फुलारा की हालत गंभीर देख उसे हायर सेंटर रैफर कर दिया । किन्तु रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। युवक का हल्द्वानी में पोस्टमार्टम चल रहा है। हादसे में टाटा सूमो चालक गौरीदत्त, नितिन फुलारा (घायल), शंकर दत्त, ध्रुव शर्मा, ललित फुलारा, हिमांशु फुलारा, भगवती देवी सवार थे।
गायक प्रकाश फुलारा की उचा डानो मा सैम ज्यू को वासा’ पहली एल्बम है। कुमाऊंनी भजन की उनकी यह पहली एल्बम लोगों को खूब पसंद आई।
तारा तेरी याद मा’ प्रकाश फुलारा की दूसरी एल्बम है। इस गाने में उन्होंने कॉलेज के दिनों में लड़के-लड़कियों की मौजमस्ती को प्राकृतिक सौंदर्य, सुराईखेत बाज़ार, चांदी के बटन, भोली अनवार, भलो हसना, भलो बुलाना जैसे कुमाऊंनी शब्दों के माध्यम से बड़ी ही सुंदरता से पिरोया है। इस एल्बम के गाने ने युवाओं का मन मोह लिया। ‘दिल्ली की छोरी बड़े कमाल की’ प्रकाश फुलारा की तीसरी एल्बम है। रोमांटिक गाने वाली इस एल्बम के गाने को गढ़वाली, कुमाऊंनी औऱ हिमाचली जौनसारी भाषा में पिरोया गया है।
प्रकाश फुलारा की चौथी एल्बम हिट रितु मासी बाजार’ जल्द ही रिलीज होने वाली है। प्रकाश फुलारा का बचपन गरीबी में बीता । बचपन से ही सामाजिक कार्यों में अपना योगदान दिया , रामलीला मंच में अपने नित्य ओर एक्टिंग के द्वारा लोगो का मन मोहा। सुराईखेत इंटर कालेज से पढ़ाई की ओर स्कूल राज्य प्रोग्राम में भी अपना योगदान दिया। उसके बाद राजनीति में पदार्पण भी आए और दो बार सरपंच रहे।