नैनीताल । नैनीताल पॉलिटेक्निक के पूर्व छात्र रहे व  चन्द्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी
ध्रुव में सफल लेंडिंग कराने वाले वैज्ञानिकों के दल में शामिल इसरो के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र पाल सिंह  के सोमवार को राजकीय पॉलिटेक्निक नैनीताल पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ । उनके सम्मान  में पॉलिटेक्निक की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये और उनका सम्मान कर उन्हें नैनीताल पॉलिटेक्निक का गौरव बताया गया ।
   इस सम्मान से गदगद डॉ.महेंद्र पाल सिंह ने कहा कि वे आज जिस मुकाम पर हैं उसका श्रेय नैनीताल पॉलिटेक्निक को है । वे करीब 35 साल बाद अपने पुराने कॉलेज में आकर रोमांचित महसूस कर रहे हैं । डॉ. सिंह ने पॉलिटेक्निक के छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपना लक्ष्य तय कर उसे साधने की कोशिश करें और कोई भी लक्ष्य असाध्य नहीं है । इसरो के वैज्ञानिक इसका उदाहरण हैं । उन्होंने पॉलिटेक्निक के सभी कक्षों का बारीकी से निरीक्षण किया और 1982 से 1985 तक इस कॉलेज में अध्ययन के दौरान बिताए गए पलों को याद किया । उन्होंने उस समय के प्रधानाचार्यों श्री राय, जी एस जीना, श्री भटनागर, जी डी ढूंढियाल आदि को याद किया ।
 इस दौरान पॉलिटेक्निक में उनके सहपाठी रहे कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता व नैनीताल डिग्री कॉलेज के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉ. गणेश उपाध्याय ने भी नैनीताल पॉलिटेक्निक की उपलब्धियों व डॉ. सिंह के इसरो का वैज्ञानिक बनने का उल्लेख किया ।
  नैनीताल पॉलिटेक्निक के प्रधानाचार्य आनन्द सिंह बिष्ट ने इसरो के वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र सिंह बिष्ट के नैनीताल पॉलिटेक्निक का छात्र रहने को नैनीताल पॉलिटेक्निक के लिये सम्मान व गौरवपूर्ण बताया । इस मौके पर आयोजित सम्मान से पॉलिटेक्निक के छात्र छात्राओं की तालियों की गड़गड़ाहट पॉलिटेक्निक का सभागार गूंज उठा । पॉलिटेक्निक की छात्राओं ने उनके सम्मान में लोकगीत,लोकनृत्य प्रस्तुत किये । उनका कॉलेज पहुंचने पर कुमाउनी रीति रिवाज के साथ स्वागत किया गया । उनके साथ उनकी धर्मपत्नी व उनके गांव के प्रधान भी शामिल थे । इन कार्यक्रमों का संचालन अनुदेशक सुभाष पांडे ने किया। डॉ. सिंह ने कॉलेज में पत्रकारों से वार्ता भी की ।
   ज्ञात हो कि   डॉ.महेंद्र पाल सिंह काशीपुर के करनपुर गांव के रहने वाले हैं । उन्होंने नैनीताल पॉलिटेक्निक से 1985 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी ।  वे 1987 में इसरो में शामिल हुए। वह चंद्रयान-3 के असेंबली इंटीग्रेशन और परीक्षण के लिए मैकेनिकल क्वालिटी एश्योरेंस टीम के प्रमुख थे।
 इसरो ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराई । यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है ।
महेंद्र पाल सिंह मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान ), चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 टीमों का भी हिस्सा थे।
वह प्रतिष्ठित मार्स ऑर्बिटर मिशन, INSAT- 3D और EMISAT के प्रोजेक्ट मैनेजर थे। उन्होंने चंद्रयान-1, 2 और 3 और दो विदेशी उपग्रहों सहित लगभग 100 संचार, रिमोट सेंसिंग, उन्नत मौसम विज्ञान और वैज्ञानिक उपग्रहों पर काम किया है।
वह उन्नत मौसम विज्ञान पेलोड के लिए क्रायोजेनिक पैसिव रेडिएंट कूलर के डिजाइन और कार्यान्वयन के लिए इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। मंगल ऑर्बिटर मिशन के लिए उनके योगदान के लिए प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ। वर्तमान में वे यूआरएससी की गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के प्रमुख हैं। उन्हें इन्सैट-3डी अंतरिक्ष यान के  प्रक्षेपण अभियान के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी – – ईएसए, फ्रेंच गुयाना में प्रतिनियुक्त किया गया था ।
   इस स्वागत कार्यक्रम  प्रधानाचार्य आनंद सिंह बिष्ट, विभागाध्यक्ष प्रतिभा आर्या, नीरज वर्मा, शांतनु वर्मा, रंजना रावत, सुमित किमोठी, व्याख्याता नवनीत मिश्र, भावना आर्य, अंजली प्रसाद, लक्ष्मी गोस्वामी, जया बोहरा, प्रतिभा आर्या, शालिनी, जानकी बिष्ट, राजेश लोहनी, कविता नेगी, बबीता आर्या, कर्मशाला अनुदेशक सुभाष पांडेय, कमल किशोर, विनोद कुमार, राजेश पांडेय, हरेंद्र देव, सौरभ जोशी एवं अन्य कार्मिक उपथित थे ।

By admin

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