अल्मोड़ा । ऐतिहासिक मल्ला महल (पुरानी कलेक्टरेट) के प्रांगण में शुक्रवार को अल्मोड़ा लिट्रेचर फेस्टिवल-2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत ऊर्जावान छोलिया नृत्य से हुई, जिसे चंदन बोरा ग्रुप*ल ने प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ मुख्य अतिथि पद्म श्री ललित पांडे द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर पद्म श्री अनूप साह (प्रकृति प्रेमी एवं छायाकार) रघुनाथ सिंह चौहान, प्रकाश जोशी, नगर महापौर अजय वर्मा सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
फेस्टिवल की अध्यक्षा वसुधा पंत ने स्वागत भाषण देते हुए अल्मोड़ा नगर के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “अल्मोड़ा नगर कलकत्ता, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों से भी पुरातन है। इसी नगर की सांस्कृतिक प्रेरणा ने पंडित उदय शंकर जैसे महान कलाकार को यहाँ अपनी अकादमी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया।”
इसके पश्चात नटराज डांस अकादमी द्वारा मनमोहक *कत्थक नृत्य* प्रस्तुत किया गया, जिसका नेतृत्व नगर के प्रसिद्ध युवा कत्थक कलाकार नीरज ने किया।
मुख्य अतिथि पद्मश्री ललित पांडे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आयोजकों को सफल कार्यक्रम हेतु शुभकामनाएँ दीं। वहीं पद्म श्री अनूप साह ने फेस्टिवल के आयोजन की सराहना करते हुए युवाओं के लिए नेचर वॉक और एडवेंचर ट्रेनिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।
कार्यक्रम के अगले सत्र में देश के सुप्रसिद्ध लेखक और मिथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक का सत्र “*Making Mythology Great Again*” विषय पर हुआ, जिसका संचालन सुनीता पंत बंसल ने किया। इस सत्र में उनकी चर्चित कृतियों और *देवलोक* तथा *महाभारत* पर गहन चर्चा हुई। देवदत्त जी ने अपने वक्तव्य में मिथकीय ज्ञान के रोचक पहलुओं को साझा किया।
इसके उपरांत पिछले वर्ष घोषित जल विषयक संकलन *“Living Water: Pulse of the Planet”* का विमोचन हुआ, जिसका संपादन *रमोला बूटालिया* द्वारा किया गया है। इस पैनल चर्चा में *डॉ. वसुधा पंत, रमोला बूटालिया, डॉ. अंजन रे* और *सुदीप सेन* शामिल रहे। इस सत्र को *क्लीन वाटर इनिशिएटिव* द्वारा सहयोग प्राप्त हुआ।
*वसुधा पंत* ने “पर्यावरण की पाठशाला” के माध्यम से अपने जल संरक्षण प्रयासों को साझा किया। संपादक *रमोला बूटालिया* ने कहा कि “यह संकलन उन लोगों की कहानियाँ समेटता है जो जल संरक्षण के क्षेत्र में सार्थक कार्य कर रहे हैं। जनभागीदारी ही जल संकट का समाधान है, अन्यथा संरक्षण खतरे में है।”
*डॉ. अंजन रे* ने कहा कि “पानी की 57 डायमेंशन होती हैं, और प्रत्येक को समझना और महत्व देना आवश्यक है।” उन्होंने नागरिकों और उद्योगों के बीच जल उपयोग के संतुलन पर विचार रखे। *सुदीप सेन*, जो अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध कवि हैं, ने इस विषय पर अपना दार्शनिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और अपनी कविता भी साझा की।
इसके पश्चात युवा लेखिका *शुभंशी चक्रवर्ती* की पुस्तक *“Past is Forward”* का विमोचन हुआ। इस पुस्तक में उन्होंने सस्टेनेबिलिटी को भारतीय परंपरा से जोड़ते हुए बताया कि यह कोई पश्चिमी अवधारणा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। इस चर्चा का संचालन *डॉ. आर. एस. पाल* ने किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में *विनायक पंत, डॉ. दीपा गुप्ता, मनोज गुप्ता, मनीषा, भूषण पांडे, दीपक जोशी, मीनाक्षी पाठक* और *आदित्य* सहित पूरी आयोजन टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

