*आज से प्रारंभ होकर 7 फरवरी तक रहेगी गुप्त नवरात्रि। जानिए कथा महत्व एवं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त -:
*गुप्त नवरात्रि की पौराणिक कथा -:*
पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे और समय समय पर शिव जी को अपमानित करने के अवसर खोजते रहते थे। एक दिन प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ आयोजित किया यज्ञ में सभी देवी देवताओं ऋषि मुनियों को बुलाया गया लेकिन दक्ष ने शिवजी एवं सती को आमंत्रित नहीं किया। जब देवी सती को अपने पिता के यहां के यज्ञ की जानकारी मिली तो देवी भी यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गई। भगवान शिव ने देवी सती को समझने की बहुत कोशिश की कि हमें बिना बुलाए ऐसे आयोजन में नहीं जाना चाहिए। देवी सती ने कहा कि दक्ष मेरे पिता हैं और अपने पिता के यहां बिना आमंत्रण के जा सकते हैं। यहां जाने के लिए आमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है। यह ऐसा कहने के बाद भगवान शिव ने उन्हें बहुत रोका परंतु सती बहुत क्रोधित हो गई।
देवी सती के क्रोध से दस महाविद्याएं प्रकट हो गई। तदुपरांत शिवजी के मना करने के बाद भी देवी सती दक्ष के यहां यज्ञ में पहुंच गई। यज्ञ स्थल पर सती को देखकर दक्ष प्रजापति ने शिवजी के लिए अपमानजनक बातें कही। देवी सती शिवजी के प्रति अपमान सहन नहीं कर सकी और उन्होंने यज्ञ कुंड में अपनी देह त्याग दी।
*शुभ मुहूर्त -:*
इस बार माघ गुप्त नवरात्रि दिनांक 30 जनवरी 2025 दिन गुरुवार यानी आज से प्रारंभ होंगी और दिनांक 7 फरवरी 2025 तक रहेंगी। गुप्त नवरात्रि की पूजा की शुरुआत घट स्थापना से की जाती है। पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 जनवरी को प्रातः 9:25 से लेकर 10:46 तक है। ऐसे में भक्तों को घट स्थापना के लिए कुल 1 घंटे 21 मिनट का समय मिलेगा। इसके अतिरिक्त घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से लेकर 12:56 तक रहेगा यहां भक्तों को 43 मिनट का समय मिलेगा।
*महत्व -:*
धार्मिक मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्या प्रकट हुई थी। माघ गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के 22 अलग-अलग नामों का जाप, दुर्गा सप्तशती, देवी महात्म्य और श्रीमद् देवी भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथो का पाठ करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में सुख शांति आती है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की गई साधना जन्म कुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम ,व मोक्ष देने वाली होती है।
*आलेख के लेखक -:आचार्य पंडित प्रकाश जोशी*