नैनीताल ।  उत्तराखंड हाइकोर्ट ने राज्य के सेवानिवृत्त कर्मचारियों से सरकार द्वारा स्वास्थ्य बीमा के नाम पर जबरन उनकी पेंशन से  हर माह कटौती करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट कहा है कि राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष पेंशनधारियों के लिए विकल्प पत्र जारी कर पेंशनधारियों की राय ले कि उन्हें इस योजना में बने रहना है या नहीं । यह तय करना पेंशनधारकों पर निर्भर होगा । कोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन उनकी व्यक्तिगत सम्पति है सरकार सेवानिवृत्त कार्मिकों पर इसे जबरन लागू नहीं कर सकती है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खण्डपीठ में हुई।
   आज हुई सुनवाई के दौरान याचिकर्ता द्वारा कोर्ट को यह भी बताया कि इस योजना में यह भी प्रावधान है कि इसका लाभ कोई कर्मचारी ले या ना ले उसे बाध्य नहीं किया जा  सकता । लेकिन सरकार ने इसे अनिवार्य कर दिया गया। जो पेंशन अधिनियम की धारा 300 (अ) का उल्लंघन है। 7 जनवरी 2022 को सरकार ने कोर्ट के आदेश पर यह विकल्प जारी किया था परन्तु 25 अगस्त 2022 को सरकार ने उन लोगों की पेंशन में से कटौती कर दी जिन्होंने यह विकल्प नहीं भरा।            मामले के अनुसार  देहरादून निवासी गणपत सिंह बिष्ट व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने स्वाथ्य बीमा के नाम पर उनकी अनुमति के बिना 21 दिसम्बर 2020 को एक शासनादेश जारी कर उनकी पेंशन से अनिवार्य कटौती 1 जनवरी 2021 से शुरू कर दी है।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You cannot copy content of this page