नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के इंद्रा नगर आवासीय क्षेत्र में एक प्राकृतिक जल प्रवाह गलियारे के भीतर पारिस्थितिक पार्क के निर्माण को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया है। यह याचिका सामुदायिक विकास विशेषज्ञ और स्वतंत्र शोधार्थी व इंद्रा नगर निवासी डॉ. विनीता नेगी द्वारा दायर की गई है, जो इस मुद्दे पर उनकी दूसरी याचिका है। याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ में हुई ।
याचिकाकर्ता ने शहरी बाढ़ और पानी की कमी के जोखिमों से निवासियों और भविष्य की पीढ़ियों की रक्षा के लिए 25 सितंबर, 2023 को जारी निर्माण की अनुमति देने वाले आदेश को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ता, जो स्वयं पार्टी-इन-पर्सन के रूप में उपस्थित थीं, ने अदालत को बताया कि उन्होंने पहले भी एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसके परिणामस्वरूप अधिकारियों ने उनके अभ्यावेदन पर विचार किया था। उस पिछली बैठक में, अधिकारियों ने संकल्प लिया था कि प्राकृतिक जल निकासी चैनल में कोई भी कंक्रीटीकरण नहीं होगा और साइट का निरीक्षण करने के बाद संयुक्त रूप से एक मिनी-वन की योजना बनाई जाएगी। बताया गया है कि पानी के प्राकृतिक प्रवाह क्षेत्र में एक स्कूल,एक होटल,एक क्लिनिक व अन्य द्वारा अवरोध किया जा रहा है ।
जबकि प्रतिवादियों की ओर से पेश हुए वकीलों ने याचिकाकर्ता के तर्कों का कड़ा विरोध किया।
न्यायालय ने मामले की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए भव्या शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है। कोर्ट कमिश्नर 20 दिसंबर, 2025 को सुबह 11 बजे इंद्र नगर कॉलोनी, देहरादून में कथित प्राकृतिक जल निकासी की संयुक्त निरीक्षण करेंगी। इस निरीक्षण में उनके साथ सर्वे नायब तहसीलदार, नगर निगम, देहरादून के अधिकारी, उत्तराखंड आवास विकास परिषद, देहरादून के अधिकारी, और एस.डी.एम., सदर, देहरादून भी उपस्थित रहेंगे। याचिकाकर्ता और सोसाइटी से संबंधित क्षेत्र के एक विशेषज्ञ को भी निरीक्षण के दौरान कोर्ट कमिश्नर की सहायता के लिए उपस्थित रहना होगा।
एस.डी.एम., सदर, देहरादून को निर्देश दिया गया है कि वे सर्वेक्षण के समय कोर्ट कमिश्नर और नामित सर्वेक्षण दल को प्रासंगिक राजस्व रिकॉर्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध कराएँ, और सर्वेक्षण के दौरान साइट पर उपस्थित रहें। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को कोर्ट कमिश्नर को उनके बोर्डिंग, लॉजिंग और यात्रा भत्ते के लिए ₹25,000/- का भुगतान करने का निर्देश भी दिया है।
एक अन्य घटनाक्रम में, 9वें प्रतिवादी जो निगम का स्थानीय पार्षद है, ने कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया और अपने आचरण के लिए माफी मांगी। उन्होंने मामला कोर्ट में विचाराधीन रहते अपनी ओर से दिशा निर्देश दिए ।
हालांकि, न्यायालय ने हलफनामे का अवलोकन करने के बाद पाया कि यह एक ‘सशर्त माफी’ प्रतीत होती है। इसके बाद, उनके वकील ने एक बिना शर्त माफी का हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा है। मामले को कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के साथ, 29 दिसंबर, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है।


