नैनीताल । पिछले वर्ष 7 फ़रवरी को चमोली जिले में आई आपदा पर किये गए एक शोध, जो कि विख्यात जर्नल साइंस’ में प्रकाशित हुआ को अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

पिछले महीने इस शोधपत्र, जिसका शीर्षक ए मेसिव रॉक एंड आइस एवलांच कॉजड द 2021 डिज़ास्टर एट चमोली, इंडियन हिमालय’ है, को अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ जियोगरैफर्स’ के ‘जियोमोरफोलॉजी स्पेशलिटी ग्रुप की ओर से विश्वप्रसिद्ध 2022 ग्रोव कार्ल गिल्बर्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

इस शोध की सर्वश्रेष्ठ बात यह है की इस घटना से चिंतित, अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, कनाडा और कई अन्य देशों सहित कुल 53 वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने चमोली बाढ़ और उससे हुई क्षतियों पर वॉलन्टरी तौर पर यह शोध किया। इन विशेषज्ञों में हाइड्रोलाजिस्ट, ग्लेशियोलाजिस्ट, मौसम विशेषज्ञ, आपदा विशेषज्ञ, जल नीति शोधकर्ता आदि शामिल थे। उत्तराखंड देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान भी इस शोध में हिस्सेदार था। नैनीताल निवासी कविता उपाध्याय, जो कि एक पत्रकार एवं जल नीति विशेषज्ञ है. इस शोध का एहम हिस्सा थी। कविता ऑक्सफोर्ड विश्वविश्यालय से जल विज्ञान एवं जल निति में एम.एस. सी. कर चुकी है, और वर्तमान में हिमालय के पर्यावरणीय विषयों पर शोध एवं स्वतंत्र पत्रकारिता करती हैं। उनके पिता दिनेश उपाध्याय कुमाऊं मंडल में सेवारत रहें । जबकि माँ सामाजिक कार्यकर्ता हैं ।यह शोध इस मायने में भिन्न है कि इसने हिमालय में जलविद्युत परियोजनाओं की मौजूदगी पर प्रश्नचिन्ह लगाया है जब कि अधिकांश वैज्ञानिक शोधपत्र इस तरह के विवाद में पड़ने से बचने की कोशिश करते हैं। इस कारण आपदा प्रभावित इन परियोजनाओं से होने वाली क्षतियों के खिलाफ इस शोध का उपयोग न्याय पाने के लिए न्यायालयों में कर रहे हैं।

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