नैनीताल । उत्तराखंड में प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने व जैविक व अजैविक कूड़े के निस्तारण को लेकर हाईकोर्ट में विचाराधीन अल्मोड़ा हवालबाग निवासी जितेंद्र यादव की जनहित याचिका की 20 फरवरी को सुनवाई होनी है । इस सुनवाई का सबसे अहम हिस्सा राज्य के करीब 8 हजार ग्राम प्रधानों की ओर से गांवों में कूड़े का निस्तारण करने हेतु किये गए इंतजामों के बारे में हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ जबाव दाखिल करना है । इस जबाव को शपथ पत्र के साथ तैयार करने के लिये राज्य के गांवों से बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी बुधवार को हाईकोर्ट पहुंचे थे । जिससे हाईकोर्ट परिसर में काफी भीड़ रही ।
इस सम्बंध में हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता सी एस रावत ने बताया कि सभी प्रधानों या ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों को हाईकोर्ट नहीं आना है, बल्कि ब्लॉक स्तर से समन्वय बनाकर ये शपथ पत्र लाये जाने हैं । इस क्रम में हर ब्लॉक से सीमित संख्या में कर्मचारी यहां आ रहे हैं । राज्य में 95 ब्लॉक हैं और हर ब्लॉक से ये शपथ पत्र यहां लाये जा रहे हैं । शपथ पत्र में गांवों में जगह जगह लगाए गए जैविक व अजैविक कूड़ेदानों की फोटो, कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था व स्वच्छता सम्बन्धी सूचनाएं शपथ पत्र के साथ देनी है । ये शपथ पत्र क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायतों की ओर से भी दाखिल होने हैं ।

पिछले माह हुई सुनवाई के दौरान कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के आयुक्त व अन्य अधिकारी कूड़ा निस्तारण के सम्बंध में किये गए उपायों की जानकारी देने हाईकोर्ट में पेश हुए थे । लेकिन कोर्ट उनके जबावों से संतुष्ट नहीं थी ।
जिसके बाद हाईकोर्ट ने जिला एवं ग्राम पंचायत के सभी प्रधानों से कूड़ा निस्तारण अधिनियम की धारा 6 के अनुपालन में सख्ती से शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए थे। जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा स्थापित किए जाने वाले कूड़ेदानों के चित्र पूरे ब्यौरे के साथ न्यायालय के समक्ष पेश करने को कहा था। शपथ पत्र में उन्हें यह भी खुलासा करना चाहिए कि इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में उनके सामने क्या कठिनाइयाँ आ रही हैं, और अधिनियम की धारा 6 द्वारा उन पर डाले गए दायित्वों का निर्वहन करने में सक्षम होने के लिए राज्य से किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है।
हाईकोर्ट ने ने आदेश दिया था कि संयुक्त सचिव, पंचायती राज, उत्तराखण्ड सरकार का यह दायित्व होगा कि वह राज्य के समस्त जिला पंचायतों/ग्राम पंचायतों/स्थानीय प्राधिकारियों को अनुपालन हेतु इस निर्देश की सूचना दें तथा इस शपथ पत्र को संकलित कर 20 फरवरी को हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।

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