नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने विधानसभा से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों द्वारा अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा सचिव व उप सचिव व अन्य से 14 अक्तूबर तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई ।
मामले के अनुसार हाईकोर्ट में कुलदीप सिंह व अन्य ने विधानसभा से अपनी बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर कोर्ट में कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को आधार मानकर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर किस वजह से हटाया गया कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि उनके द्वारा सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया जा रहा था। कहा एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं हो सकता। यह आदेश प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। विधानसभा सचिवालय में बैक डोर नियुक्तियां राज्य बनने के बाद कई बार हुई हैं और बड़ी संख्या में कर्मचारी नियमित भी हो चुके हैं। परंतु उन्हें किस आधार पर बर्खास्त किया गया। विधान सभ सचिवालय ने उनका पक्ष सुने बिना उन्हें बर्खास्त कर दिया।याचिका में कहा गया है कि 2014 तक तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई। पर उन्हें छह वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया अब उन्हें हटा दिया गया। जबकि नियमानुसार छह माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था। विधानसभा की ओर से कहा गया कि इनकी नियुक्ति बैकडोर के माध्यम से हुई है और इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था उसी के आधार पर इन्हें हटा दिया गया।