आज से कई शताब्दियाँ पूर्व अजन्ता एलोरा तथा इसकी समकालीन गुफाओं के भित्तिचित्र मानव की रचनात्मक प्रवृति को उजागर करते हैं. जमाना बदलता चला गया. चित्र अब भित्तियों से निकलकर कागज पर बनने लगे. कालान्तर में कैमरे के आविष्कार से फोटोग्राफी को नई दिशा मिली.
कैमरे में लैस के उपयोग से चित्रकला का यह सशक्त माध्यम के रूप में उभर आया. एक मानव निर्मित लैंस की सहायता से चित्रों को बनाना और सहेज कर रखना बेहद सुगम हो गया था. इसी दिन को यादगार बनाने के लिए विश्व फोटोग्राफी दिवस (World Photography Day) मनाया जाता हैं.
यह माना जाता है कि एक तस्वीर एक हजार शब्दों की बात संक्षिप्त में समझा देती हैं. वर्तमान को भविष्य के लिए सजोकर रखने का माध्यम फोटोग्राफी ही हैं. आज यह एक प्रोफेशन भी बन चूका हैं, जिसकी बदौलत बड़ी संख्या में लोग अपनी रचनात्मक कला के कारण पैसा व ख्याति दोनों कमाते हैं.
19 अगस्त के ही दिन फोटोग्राफी का अविष्कार हुआ था. फ़्रांस द्वारा इसकी आधिकारिक घोषणा हुई थी. 19 अगस्त 1841 के दिन नाइसफोरे नाइस और लुइस डेगुरे द्वारा फोटोग्राफी के आधुनिक रूप को प्रतिपादित किया गया. यदि फोटो के धुलने एवं उनके साफ़ होने के शुभारम्भ की बात करे तो 9 जनवरी 1939 में फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंस द्वारा इस प्रणाली को विकसित किया गया था. 2009 में ऑस्ट्रेलिया से 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस के रूप में विधिवत् मनाना शुरू किया.
फांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेक्स और मेंडे डाग्युरे ने फोटोग्राफी के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इन दोनों ने मिलकर वर्ष 1839 में फोटो तत्व की खोज की थी. जो इस कला का हार्ट हैं.
विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने नेगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस का आविष्कार किया तथा टेल बोट ने फोटो को लम्बे समय तक रखने के लिए हल्के संवेदनशील पेपर का आविष्कार किया था.
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड फोटोग्राफी डे
फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए 19 अगस्त एक महत्वपूर्ण दिवस हैं, क्योंकि आज विश्व फोटोग्राफी दिवस हैं. यह दिन दुनियाभर के फोटो ग्राफर को समाज की सच्चाई दिखाने वाली फोटो उतारने के लिए उत्साहित करने हेतु मनाया जाता हैं. दुनियाभर के बेहतरीन और पेशेवर फोटोग्राफर इस दिन अपनी कला का पदर्शन करते हैं यह एक वार्षिक उत्सव है जिसमें इस कला के इतिहास शिल्प और इसकी विज्ञान का प्रदर्शन किया जाता हैं.
यह दिन न केवल उन लोगों की स्मृति से जुड़ा है जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया बल्कि फोटोग्राफी के प्रति उत्सुक लोगों को अपने कौशल को दिखाने के लिए प्रेरित करने वाला दिवस भी हैं. फोटोग्राफी के इतिहास में 19 अगस्त 2010 का दिन बहुत बड़ा माना जाता हैं, इस दिन पहली डिजिटल फोटो गैलरी प्रकाशित की गई थी. विश्व भर में प्रसिद्ध हुई इस गैलरी में 250 से अधिक फोटो ग्राफर ने अपने कला हुनर को दिखाया था.
फोटोग्राफी डे मनाने के पीछे की कहानी
इस दिवस को मनाने के पीछे जुड़ी कहानी करीब पौने दो सौ वर्ष पुरानी हैं, आज से करीब 182 साल पहले की घटना से जोड़कर यह दिन मनाया जाता हैं. फ़्रांस से 9 जनवरी 1839 से आधुनिक फोटोग्राफी की शुरुआत मानी जाती हैं. इसके आविष्कारक जोसेफ नाइसफोर और लुइस डोगेर थे.
उस समय की फ्रांस की सरकार ने 19 अगस्त 1839 के दिन इस बड़े आविष्कार की अधिकारिक घोषणा की तथा इसका पेटेट भी हासिल कर लिया. इस दिन से जुड़ी इन घटनाओं की स्मृति में प्रतिवर्ष 19 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता हैं.
अगर कैमरा सेल्फी के अतीत की बात करे तो दुनियां में पहली सेल्फी आज से करीब 183 वर्ष पूर्व वर्ष 1839 में अमेरिका के रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने क्लिक की थी. आज के जमाने में भले ही सेल्फी या तस्वीर उतारना कुछ सेकंड्स का खेल हो मगर उस दौर में जब कोई कैमरा यंत्र नहीं थे यह बड़ा मुश्किल भरा सफर था. रॉबर्ट कॉर्नेलियस की उस ऐतिहासिक सेल्फी को आज भी यूनाइटेड स्टेट लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में सहेज कर रखी गई हैं.
महत्व
आज हमें जो सुविधाएं उपलब्ध है उनका महत्व उनकी कमी में ही समझ सकते हैं. छवियां, वीडियोज और फोटोग्राफी ने इंसानों के बीच की दूरियों को पाटने में बड़ी भूमिका अदा की है. अगर पुराने जमाने में भी तस्वीरे लिए जाने की सहूलियत होती तो हम भगवान राम, कृष्ण और उनके बाद के जमाने को भी आसानी से समझ सकते थे.
हम डायनासोर की फोटोज देख पाते मगर यह सम्भव नहीं था. आज के फोटोग्राफी के जमाने ने विश्व के कोने कोने में बैठे व्यक्ति का परिचय हमसे करवाया है. मानव इतिहास और संस्कृति को समझने में फोटोग्राफ्स की अहम भूमिका रही हैं. आज फोटोग्राफी एक शौक से बढ़कर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा हैं, हजारों लाखों लोग इस क्षेत्र में रोजगार पा रहे हैं.