अतिआवश्यक
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री जी,
उत्तराखंड सरकार
विषय- पेंशन/ग्रेच्युटी के संबंध में दिनांक 25 जून 2022 को सी0 एम0 हेल्पलाइन में दर्ज शिकायत का निराकरण नहीं होने पर आमरण अनशन करने की सूचना |
महोदय,
उपर्युक्त विषय पर कृपया मेरे पत्र दिनांक 26-08-22 (प्रति संलग्न है ) जिसके द्वारा बेवजह रोकी गई पेंशन/ग्रेज्युटी के प्रकरण में जवाबदेही सुनिश्चित कराते हुए तत्काल पेंशन/ग्रेज्युटी का भुगतान कराने का अनुरोध किया गया है ,का संदर्भ ग्रहण करने की कृपा करें |
उक्त संदर्भ में अत्यंत खेद का विषय है कि ऑडिट ऑफिस अल्मोड़ा से दिनांक 31-12-21 को सेवानिवृत हुए 08 माह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी पेंशन/उपादान की स्वीकृति नहीं होने के कारण मुझे अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने में घोर आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है | इस स्थिति से उबरने के लिए त्वरित समाधान हेतु मेरे द्वारा दिनांक 25-06-22 को सी0 एम0 हेल्पलाइन में शिकायत की गई लेकिन क्रमांक 332606 पर पंजीकृत शिकायत का अभी तक निराकरण नहीं हुआ | दूसरी ओर मुख्य कोषाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा दिनांक 31-8-22 को पाँचवी बार आपत्ति लगा कर पेंशन प्रकरण वापस कर दिया गया |
कोषागार द्वारा दिनांक 24-5-22 को दूसरी बार लगायी गयी आपत्ति के परिपालन में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा द्वारा दिनांक 24-6-22 को पेंशन का आगणन नियमितीकरण की तिथि दिनांक 12-10-90 से करते हुए ग्रेच्युटी की राशि को भी तदनुसार कम के प्रकरण कोषागार को प्रेषित किया गया लेकिन इसके बावजूद कोषागार द्वारा निरंतर इस आपत्ति के साथ प्रकरण को लौटाया गया कि दिनांक 24-5-22 की आपत्ति यथावत है |
कोषागार अल्मोड़ा द्वारा अस्पष्ट रुप से जिस आपत्ति के साथ प्रकरण को उलझाया गया है ,ऐसी आपत्ति उत्तराखंड के इतिहास में किसी भी कोषागार द्वारा किसी भी सेवानिवृत्त कार्मिक के पेंशन प्रकरण में नहीं लगाई गई है । प्रकरण को लेकर विभिन्न स्तर पर हुए पत्राचार का अवलोकन करने पर इस सवाल के प्रति कहीं भी गम्भीरता परिलक्षित नहीं होती है कि 08 माह पूर्व सेवानिवृत्त एक कार्मिक बगैर पेंशन के अपने परिवार का भरण पोषण कैसे कर रहा होगा ? यदि इस सवाल के प्रति कोई जरा भी संवेदनशील होता तो प्राथमिकता के आधार पर कम से कम अनन्तिम पेंशन तो स्वीकृत हो गई होती ।
उक्त क्रम में उल्लेखनीय है कि 37साल 08 माह के राजकीय सेवाकाल में उत्तराखंड राज्य प्राप्ति के आन्दोलन के दरम्यान 02 अक्टूबर 1994 को जब मुजफ्फरनगर काण्ड में मौत से रुबरु हुआ ,उस समय मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि अपना उत्तराखंड राज्य बनने पर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ेगा ।
उक्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से खिन्न होकर मेरे द्वारा इस उम्मीद के साथ सी०एम०हैल्पलाइन में शिकायत की थी कि शिकायत का त्वरित निराकरण होगा लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की असंवेदनशीलता जस की तस रहने और सी०एम०हैल्पलाइन के भी बेअसर होने से हतप्रभ होकर अन्ततः मेरे द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि शिकायत का त्वरित निराकरण नहीं होने पर मैं 02अक्टूबर 2022 की पूर्वाह्न से बुद्ध पार्क हल्द्वानी में आमरण अनशन पर बैठ जाऊंगा । ऐसे में किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति के लिए पूर्ण दायित्व सम्बन्धित विभाग व सरकार का होगा।
दिनांक 12-9-22 भवदीय,
रमेश चन्द्र पाण्डे
सेवानिवृत्त सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
बिठौरिया न०-1, देवकी बिहार
हल्द्वानी (नैनीताल)
प्रतिलिपि निम्नलिखित को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित –
1- मुख्य सचिव, उत्तराखंड शासन।
2- सचिव वित्त उत्तराखंड शासन ।
3- निदेशक, लेखा परीक्षा (आडिट) उत्तराखंड ।
4- आयुक्त, कुमाऊं मण्डल।
5-जिलाअधिकारी अल्मोड़ा/नैनीताल।
6-वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा/नैनीताल।
7- मुख्य कोषाधिकारी अल्मोड़ा।
8-जिला लेखा परीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा ।
9- मीडिया ।
रमेश चन्द्र पाण्डे
सेवानिवृत्त सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी
बिठौरिया न०-1, देवकी बिहार
हल्द्वानी (नैनीताल)