पिछले कई विधान सभा सत्रों में कार्यमंत्रणा समिति में संख्या बल के आधार पर मनमानी का माहौल हो रहा है। वर्तमान मानसून सत्र में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक से पूर्व विधान सभा ने जो माननीय सदस्यों को मानसूत्र सत्र का सम्भावित कार्यकम भेजा था उसके अनुसार विधान सभा का सत्र 19 अगस्त से लेकर कम से कम 22 अगस्त तक आहूत होना था। 18 अगस्त को बुलाई गई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में केवल 19 अगस्त के उपवेशन का कार्यक्रम तय किया गया तथा 19 अगस्त के उपवेशन के बाद दुबारा बैठक बुलाने की बात की गई थी, किन्तु 19 अगस्त को कोई बैठक नहीं बुलाई गई।
सरकार ने आज 20 अगस्त को पूर्वाह्न में ही सत्र का अनिश्चित काल के लिये अवसान कर दिया है। सरकार ने इस निर्णय को लेने से पहले कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलाकर कार्यमंत्रणा समिति के सदस्यों को विश्वास में नहीं लिया है।
यह निश्चित है कि सरकार सदन चलाने में अपना तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना रही है। भराड़ीसैंण में आहूत सदन को दो दिन में स्थगित करना उत्तराखण्ड राज्य के निवासियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है, जब कार्यमंत्रणा समिति के निर्णय सरकार द्वारा एकतरफा लिये जाने हैं तो ऐसी कार्यमंत्रणा समिति में हमारे सदस्य के रूप में रहने की कोई सार्थकता नहीं है।