(माधव पालीवाल)
नैनीताल विधान सभा सीट के लिये आजादी के बाद से राज्य गठन तक 13 और अब तक कुल 17 चुनाव संपन्न हुए हैं। पहले विधायक बने नारायण दत्त तिवारी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से 1952 और 1957 का चुनाव जीता था। इसके बाद 1962 में कांग्रेस के देवेंद्र सिंह, 1967 में प्रजा सोशियलिस्ट पार्टी के, के पी सिंह, 1969 में कांग्रेस के डुंगर सिंह बिष्ट, 1974 में कांग्रेस के बालकिशन सनवाल, 1977 में जनता पार्टी के राम दत्त जोशी, 1980 में कांग्रेस आई के शिव नारायण सिंह नेगी, 1985 और 1989 में लगातार दो बार कांग्रेस के किशन सिंह तड़ागी विधायक रहे। इसके बाद 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के बंशीधर भगत जीते।
राज्य बनने के बाद 2002 में हुए पहले विधान सभा में उक्रांद के डॉ0 नारायण सिंह जंतवाल,2007 में भाजपा के खड़क सिंह बोहरा,नए परिसीमन के बाद आरक्षित हुई इस सीट में 2012 में कांग्रेस की सरिता आर्य व 2017 में भाजपा के संजीव आर्य विधायक बने । 2012 में कांग्रेस की सरिता आर्य ने भाजपा के हेम आर्य को करीब पांच हजार मतों से हराया तो 2017 में भाजपा के संजीव आर्य ने कांग्रेस की सरिता आर्य को 7 हजार मतों से हराया । इस बार नैनीताल विधान सभा क्षेत्र में करीब 60 हजार मत पड़े हैं । उसमें से करीब 15 हजार मत नैनीताल शहर में पड़े । जहां कांग्रेस को प्रायः बढ़त मिलती थी लेकिन इस बार कम मतदान से कांग्रेसी खेमा थोड़ा चिंतित है । बेतालघाट ब्लॉक में भाजपा बराबरी के मुकाबले में है । जबकि कोटाबाग व भीमताल ब्लॉक के कई बूथों में भाजपा की मजबूत पकड़ है । इसके अलावा आम आदमी पार्टी के हेम आर्य भाजपा को नुकसान पहुंचाएंगे या कांग्रेस को यह भी अहम कड़ी है । फिलहाल जनता की राय में चुनाव घोषित होने की तिथि तक यहां कांग्रेस के संजीव आर्य काफी मजबूत प्रत्याशी थे लेकिन मतदान की तिथि आने तक भाजपा ने जबरदस्त रिकवरी कर मुकाबला कांटे की टक्कर का बना लिया और तराजू का पलड़ा किसी भी ओर झुक सकता है ।