*हस्त नक्षत्र में 12 अप्रैल को मनाया जाएगा हनुमान जन्मोत्सव*।

 

हमारे सनातन धर्म में हनुमान जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। साथ ही यह दिन भगवान बजरंगबली को समर्पित होता है। वही यह दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी को शक्ति भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर हनुमान जी की उपासना करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। साथ ही कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस दिन हनुमान जी का कवच पाठ करें तदुप्रांत हनुमान चालीसा का पाठ करें और यदि संभव हो तो इस दिन घर में सुंदरकांड पाठ करना चाहिए।

शुभ मुहूर्त-:
इस बार दिनांक 12 अप्रैल 2025 दिन शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन हस्त नामक नक्षत्र 30 घड़ी 40 पल अर्थात शाम 6:08 बजे तक है। व्याघ्र नामक योग 37 घड़ी शून्य पल अर्थात शाम 8:40 बजे तक है। सबसे महत्वपूर्ण यदि इस दिन के चंद्रमा की स्थिति को जानें तो इस दिन चंद्र देव पूर्ण रुपेण कन्या राशि में विराजमान रहेंगे। यदि पूजा के मुहूर्त की बात करें तो इस दिन प्रातः 7:34 बजे से प्रातः 9:12 तक पूजा का मुहूर्त है इसके बाद दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 6:40 बजे से लेकर रात 8:08 बजे तक रहेगा।

ALSO READ:  यू सी सी,के खिलाफ कल 25 अप्रैल को कुमाऊँ कमिश्नरी में विभिन्न संगठन करेंगे धरना प्रदर्शन । कुमाऊँ आयुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजा जाएगा ज्ञापन ।

हनुमान जन्मोत्सव की व्रत कथा-:
एक बार अग्नि देव से मिली खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियां को बांटा कैकई को जब खीर मिली तो एक चील ने झपट्टा मार कर उसे छीन लिया और उसे अपने मुंह में लेकर उड़ गई ।उड़ते उड़ते रास्ते में जब चील अंजना माता के आश्रम के ऊपर से गुजर रही थी तो माता अंजना ऊपर की ओर देख रही थी और उसका मुंह खुला होने की वजह से खीर उनके मुंह में गिर गई और उन्होंने उसे खीर को घटक लिया। इससे उनके गर्भ में शिव जी के अवतार हनुमान जी आये और फिर उनका जन्म हुआ।

ALSO READ:  नगर पालिका नैनीताल ने श्वान(कुत्ता) पालकों को दी सलाह के साथ चेतावनी ।

 

हनुमान जी के जन्म के विषय में दूसरी कथा यह है कि समुद्र मंथन के बाद जब भगवान शिव ने भगवान विष्णु को मोहिनी रूप में देखने को कहा था जो उन्होंने समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों को दिखाया था। उनकी बात का मान रखते हुए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया। भगवान विष्णु का आकर्षक रूप देखकर शिवजी आकर्षित होकर कामातुर हो गए और उन्होंने अपना वीर्य गिरा दिया। जिसे पवन देव ने शिव जी के वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्टि कर दिया। इस तरह माता अंजना के गर्व से वानर रूप में हनुमान जी का जन्म हुआ। इसीलिए उन्हें शिवजी का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है।

आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

लेखक-: आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।

By admin

"खबरें पल-पल की" देश-विदेश की खबरों को और विशेषकर नैनीताल की खबरों को आप सबके सामने लाने का एक डिजिटल माध्यम है| इसकी मदद से हम आपको नैनीताल शहर में,उत्तराखंड में, भारत देश में होने वाली गतिविधियों को आप तक सबसे पहले लाने का प्रयास करते हैं|हमारे माध्यम से लगातार आपको आपके शहर की खबरों को डिजिटल माध्यम से आप तक पहुंचाया जाता है|

You missed

You cannot copy content of this page