*हिन्दू नवसंवत्सर की विशेषता। कैसा रहेगा नववर्ष?किन राशियों को है विषुवत संक्रांति अपैट कैसा रहेगा 13 दिनों का पक्ष।आइए जानते हैं।*
भारतीय कैलेंडर के अनुसार नववर्ष का आगाज 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर आरंभ होता है।
जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्सर मार्च-
अप्रैल माह में आता है। हिंदू नववर्ष यानी
संवत 2081 इस वर्ष 9 अप्रैल यानी मंगल वार
से शुरू होने जा रहा है। शास्त्रों में कुल 60
संवत्सर बताए गए हैं। मान्यता है कि नए वर्ष
के प्रथम दिन के स्वामी को उस वर्ष का स्वामी
मानते हैं। अतः इस बार मंगल राजा होंगे।
क्या हम भारतीयों ने भी यह सोचा की हमारा
नववर्ष कब से शुरू होता है? हमारा अपना क्या
इतिहास है? ठीक है किसी को भी कोई भी
उत्सव जब मर्जी मनाने की स्वतंत्रता होनी
चाहिए यह उसका अपना निजीअधिकार है लेकिन क्या हम अपनी संस्कृति व अपने संस्कारों की तिलांजलि दे कर उत्सव मनाएँ?
आज जिस भारतीय संस्कृति का अनुसरण
विदेशी लोगों ने करना शुरू किया है उसी
भारतीय संस्कृति व सभ्यता को हम तहस-
नहस करने में जुटे है।भारतीय हिंदू कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के
अनुसार होती है। दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी न किसी रूप में भारतीय हिंदू कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं। भारतीय पंचांग और
काल निर्धारिण का आधार विक्रम संवत ही हैं।
जिसकी शुरुआत मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी
से हुई। यह हिंदू कैलेन्डर राजा विक्रमादित्य के
शासन काल में जारी हुआ था तभी इसे विक्रम
संवत के नाम से भी जाना जाता है।
विक्रमादित्य की जीत के बाद जब उनका राज्यारोहण हुआ तब उन्होंने अपनी प्रजा के
तमाम ऋणों को माफ करने की घोषणा करने
के साथ ही भारतीय कैलेंडर को जारी किया
इसे विक्रम संवत नाम दिया गया।
9 अप्रैल 2024 को आने वाला नया संवत्सर “कालयुक्त” नामक संवत्सर है इसमें प्रजा तथा सभी जीव सुखी रहेंगे। धन-धान्य की पैदावार भी प्रचुर होगी। राजनेताओं में परस्पर विरोध, वर्षा कम और व्यापार में मंदी चैत्र एवं वैशाख में रोग तथा कष्ट और उत्तरी क्षेत्र में देशभंग, जेष्ठ में धान्य संग्रह से लाभ, आषाढ़ में वर्षा में कमी, जनजीवन कष्ट में और मार्ग में परेशानियां, श्रावण मास में अधिक वर्षा, भाद्रपद में खण्ड वृष्टि और प्राकृतिक आपदाएं, आश्विन में रोग विशेष से कष्ट, रस पदार्थ महंगे और धातुयें सम, कार्तिक आदि पांच मासों में युद्ध से हानि और चौपाइयों में रोग व्याधियां।
*राजा एवं मंत्री मण्डल -*
इस वर्ष राजा मंगलदेव हैं जिनके पास सस्येश और निरसेश(सूखे फल तथा मेवा विभाग हैं) एवं मंत्री शनिदेव हैं जिनके पास कोई भी विभाग नहीं है। धान्येश सूर्य देव है, मेघेश(वर्षा प्रबंधन),फलेश(उद्यान तथा फल विभाग) तथा दुर्गेश (रक्षा विभाग) शुक्र देव के पास है। रसेश(रस पदार्थ) गुरुदेव के पास है तथा धनेश चंद्र देव के अधीन है।
इस वर्ष 13 दिनों का पक्ष होने से युद्ध, प्राकृतिक घटनाओं रोग व्याधियों अथवा देवी प्रकोप से जनहानि होगी। व्यापारी वर्ग सुख अनुभूति करेंगे।
13 दिनों के पक्ष के संबंध में शास्त्रों में लिखा है-
*पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां तदा भवेत्रोरव कालयोग:।*
*पक्षे विनिष्टे सकलं विनष्टमित्याहुराचार्यवरा: ।।१।।*
*त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरते जगत।*
*अपि वर्षसहस्त्रेण कालयोग:प्रकीर्तित:।।२।।*
*(ज्योतिर्निबन्ध)*
अर्थात किसी भी पक्ष में दो तिथियां का क्षय होने पर यह पक्ष 13 दिनों का होता है इसे विश्वघस्र पक्ष भी कहा जाता है। 13 दिन के पक्ष में जगत का संहार होता है। पाठकों की जानकारी हेतु बताना चाहूंगा कि कोरोना काल में भी 13 दिनों का पक्ष हुआ था। जो वर्ष इतनी भयंकर बीमारी लाया। इस बार आषाढ़ कृष्ण पक्ष 23जून2024 से 5 जुलाई 2024तक मात्र 13दिन का है।

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*कैसा रहेगा 12 राशियों के लिए वर्ष*
*1मेष -*
मेष राशि वालों के लिए वर्ष में प्रथम मास में भय एवं कष्ट, तत्पश्चात गुरु की कृपा दृष्टि से नवीन तथा रुके हुए धन लाभ से मार्ग प्रशस्त होंगे। भौतिक सुख संसाधनों में वृद्धि। स्वास्थ्य में कभी कभार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी। आषाढ़ अश्विन तथा फाल्गुन में कार्य सिद्धि। शनि एवं राहु के अशुभ फलों में न्यूनता के लिए जप दान करना श्रेष्ठ रहेगा।
*2वृषभ-*
वृषभ राशि वालों का वर्ष सामान्य फलदायक होगा। पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ेगा। एकादश राहु समय-समय पर वित्त प्राप्ति करवायेगा। स्वयं एवं संतान की पदोन्नति से जहां मन प्रसन्न रहेगा वहीं वैमनस्य तथा धन हानि से मानसिक कष्ट भी होगा। चैत्र सावन तथा कार्तिक माह शुभ फल प्रद रहेंगे। गुरु शनि एवं केतु के जप दान से अशुभ प्रभाव में कमी होगी।
*मिथुन*
इस राशि वालों को वर्ष में मिले-जुले फल प्राप्त होंगे। अधिक परिश्रम करने के बाद भी अच्छे परिणाम मिलने की संभावनाएं बहुत कम होगी। वाणी पर संयम रखना शुभ फल प्रद। कृषि कार्य करने में लाभ होगा। वैशाख भाद्रपद एवं मार्गशीर्ष में महत्वपूर्ण कार्य करना शुभ फलप्रद होगा। गुरु शनि राहु और केतु का जप दान करने से अशुभ फलों का परिहार संभव।
*कर्क*
कर्क राशि वालों को शनि की ढैया प्रभावित करेगी। परिश्रम के अनुरूप फल प्राप्ति में संदेह प्रायः वर्ष भर ही बना रहेगा। दुर्घटनाएं एवं शत्रु प्रबल रहेंगे। भवन अथवा भूमि में निवेश करना शुभ रहेगा। विद्यार्थियों को वर्ष में अच्छे परिणाम मिलेंगे। ज्येष्ठ अश्विन और पौष मास में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध कर लें। शनि और राहु का जप दान करने से अशुभ फलों का परिहार होगा।
*सिंह*
इस राशि वालों का वर्ष सामान्य फलदायक होगा। वर्ष के पहले माह में सम्मान एवं धन वृद्धि के प्रबल योग हैं। गुरु के राशि परिवर्तन के बाद धनागम के स्रोतों में बाधाएं आएंगी। विद्यार्थियों को प्रतियोगिताओं के क्षेत्र में आंशिक सफलता मिलेगी। राजद्वार से परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। आषाढ़ कार्तिक तथा माघ मास शुभ फलप्रद। शिव आराधना तथा गुरु शनि राहु एवं केतु जप दान करना श्रेष्ठ रहेगा।
*कन्या*
कन्या राशि वालों का यह वर्ष यश तथा सम्मान में वृद्धि कारक है। धनागम के नए स्रोत उत्पन्न होंगे तथा पुराने रुके हुए धन की प्राप्ति होगी। भौतिक सुख संसाधनों में वृद्धि होगी। पुलिस अथवा सेना में कार्यरत व्यक्तियों को पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। सावन मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास शुभ फलप्रद रहेंगे। राहु और केतु के जप दान तथा हनुमान जी की आराधना करने से अशुभ फलों में न्यूनता आएगी।
*तुला*
तुला राशि वालों को वर्ष के प्रथम मास में सम्मान एवं यश प्राप्ति होगी। संतान को कष्ट होगा यद्यपि धनागम के नए स्रोत बनेंगे परंतु धनागम में रुकावटें भी उत्पन्न होगी। वर्ष में प्राय उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। भादो पौष तथा चैत्र मास में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध कर लें। गुरु शनि तथा केतु का जप दान एवं शिव आराधना करने से अशुभ फलों में न्यूनता।
*वृश्चिक*
वृश्चिक राशि वालों का वर्ष शनि की ढैया से प्रायः वर्ष भर प्रभावित रहेगा। चल अचल संपत्ति में निवेश करना अच्छा रहेगा। यश एवं सम्मान की दृष्टि से वर्ष शुभ रहेगा। शत्रु प्रबल होंगे परंतु स्वयं ही परस्त भी होंगे। वैशाख आश्विन एवं माघ मास शुभ फल प्रद रहेंगे। शनि और राहु का जप दान तथा हनुमान जी की आराधना शुभ फल प्रद रहेगी।
*धनु*
इस राशि वालों का वर्ष में पहले माह में सुख संसाधनों में वृद्धि रहेगी तत्पश्चात शोक एवं कष्टप्राय वर्ष भर ही रहेगा। शत्रु बाधा प्रभावी रहेगी। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी नए कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होगी। ज्येष्ठ कार्तिक तथा फाल्गुन मास में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करें।
*मकर*
इस राशि वाले शनि के साडेसाती के प्रभाव से 29 मार्च 2025 तक प्रभावित रहेंगे। धन हानि दुर्घटनाएं एवं मानसिक तनाव होने की संभावना प्राय वर्ष भर बनी रहेगी। वर्ष के पहले 1 मार्च उपरांत सुख तथा लाभ के योग बन रहे हैं। आषाढ़ मार्गशीर्ष और चैत्र मास में शुभ परिणाम मिलेंगे। शनि और केतु ग्रह के जप दान तथा शिव आराधना से अशुभ फलों का परिहार संभव होगा।
*कुंभ*
कुंभ राशि वालों का वर्ष सामान्य फल कारक रहेगा। प्रिय जनों से दूरी बढ़ेगी आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक कष्ट प्रायः वर्ष भर रहेगा। अकारण भ्रमण कार्यक्रम तथा शत्रु बाधा से मन व्यथित रहेगा। जमीन जायदाद एवं भवन में निवेश करना अच्छा रहेगा। वैशाख सावन तथा पौष मास में महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करें। गुरु शनि राहु तथा केतु का जप दान एवं हनुमान जी की आराधना करने से अशुभ फलों में न्यूनता।
*मीन*
मीन राशि वालों को शनि प्रभावित करेंगे वर्ष के पहले मास में आर्थिक लाभ के अवसर प्राप्त होंगे पारिवारिक कलह रोग एवं शत्रु बाधा से मन व्यथित रहेगा। जीवन में संघर्ष बढ़ेगा। चल अचल संपत्ति में निवेश शुभ फल प्रद रहेगा। जेष्ट भादो तथा माघ मास शुभ रहेंगे। गुरु शनि राहु तथा केतु का जप दान एवं शिव आराधना से अशुभ फलों का प्रभाव कम होगा।
*12 राशियों का इस वर्ष का आय -व्यय*
मेष राशि की आमदनी 8 और खर्च 14 होंगे। वृषभ राशि -आमदनी दो, खर्च 8। मिथुन- आमदनी और खर्च पांच-पांच।कर्क- आमदनी 14 खर्च दो। सिंह- आमदनी दो खर्च 14। कन्या- आमदनी और खर्च 5 – 5। तुला- आमदनी दो खर्च 8। वृश्चिक– आमदनी 8 खर्च 14। धनु –आमदनी 11 खर्च 5। मकर-और कुंभ— आमदनी 14 खर्च 14। मीन– आमदनी 11 खर्च 5।
*विषुवत संक्रांति अपैट-*
इस वर्ष आद्रा ,पुनर्वसु और तिष्य इन तीन नक्षत्रों को जो की मिथुन और कर्क राशि में स्थित है, विषुवत संक्रांति बाएं पैर गई है अर्थात विषुवत संक्रांति अपैट है ।अतः इन्हें दिनांक 13 अप्रैल 2024 (विषुवत संक्रांति) को सफेद वस्तुएं अर्थात चांदी के बाएं पैर की आकृति ,दूध ,दही, चावल, चीनी,सफेद वस्त्र दक्षिणा सहित दान करनी चाहिए।
आप सभी को सपरिवार हिंदू नव वर्ष नव संवत्सर की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं।

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*लेखक-:  आचार्य पंडित प्रकाश जोशी गेठिया, नैनीताल।

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