आदेश-:

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा दायर की गई दर्जनों पुनर्विचार याचिकाओं को 11 नवंबर, 2025 को खारिज कर दिया है।

इन याचिकाओं में मुख्य रूप से एक 15 अक्टुबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के सम्बंध में दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी । सरकार ने रिव्यू याचिका में राज्य के पास बजट की कमी का हवाला देेेकर उपनल कर्मियों के नियमितीकरण में आ रही कठिनाई का भी उल्लेख किया था ।

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा कुंदन सिंह बनाम उत्तराखंड राज्य में दिए गए फैसले को सही ठहराया था ।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने इन मामलों की सुनवाई की और अपने आदेश में स्पष्ट किया कि उन्हें पुनर्विचार याचिकाओं में कोई त्रुटि  नहीं मिली, जिसके लिए पुराने आदेश पर फिर से विचार करने की आवश्यकता हो। पीठ ने कहा कि वे पुराने आदेश दिनांक 15 अक्टूबर, 2024 की समीक्षा करने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हैं।

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पुनर्विचार याचिका (सिविल) संख्या 1099/2025 के साथ ही, इससे जुड़े कई अन्य मामलों को भी खारिज कर दिया गया। ये सभी मामले समान प्रकृति के थे और इनमें विभिन्न स्पेशल लीव पिटीशन (सिविल) और सिविल अपील से जुड़े फैसलों पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, जिनमें डायरी संख्या 742/2025 और कई अन्य डायरी संख्या वाले मामले शामिल हैं।

पुनर्विचार याचिकाओं को दायर करने में हुई देरी को भी न्यायालय ने माफ  कर दिया। हालाँकि, याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए ओपन कोर्ट में सुनवाई की माँग करने वाली सभी अर्जियाँ  अदालत द्वारा अस्वीकार  कर दी गईं।
रिकॉर्ड ऑफ प्रोसीडिंग्स (कार्यवाही का रिकॉर्ड) के अनुसार, याचिकाओं के साथ कई अंतरिम आवेदन भी दायर किए गए थे। इनमें ‘विलंब की माफी’, ‘ओरल हियरिंग’, ‘स्टे एप्लीकेशन’, और ‘खुली अदालत में सुनवाई की याचिका’ जैसे आवेदन शामिल थे।

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सभी पुनर्विचार याचिकाओं को हस्ताक्षरित आदेश  के अनुसार खारिज कर दिया गया है। इस प्रकार, पुनर्विचार याचिकाओं के साथ लंबित अन्य सभी आवेदनों का भी निपटारा  कर दिया गया है।

 

उत्तराखंड उपनल संबिदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है और सभी कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा की संघ द्वारा लड़े गए इस केस में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से हाईकोर्ट के आदेश की पुष्टि होती है, और हम इसका स्वागत करते हैं। हम आशा करते हैं कि सरकार अब इस फैसले का सम्मान करेगी और संबिदा कर्मचारियों के हित में आवश्यक कार्रवाई करेगी।”संगठन के पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष रमेश शर्मा,पूरन चन्द्र भट्ट,गणेश गोस्वामी, मनोज जोशी,मनोज गड़कोटी,तेजा सिंह बिष्ट,विनोद बिष्ट,आँचल वर्मा, कमल गड़िया,त्रिभुवन बसेरा आदि ने इस फैसले पर खुशी व्यक्त की है ।

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By admin

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