नैनीताल। 51 शक्तिपीठों में से एक नैनीताल के प्रसिद्ध मां नयना देवी मंदिर का 140 वां स्थापना दिवस सोमवार को विविध धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया। आज पिछले हफ्ते से चल रहे श्रीमद देवी भागवत के पारायण के बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सैलानियों सहित सैकड़ों भक्तजनों ने प्रसाद ग्रहण किया।
स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों से सरोवर नगरी भक्तिमय बनी रही। श्री मां नयना देवी मंदिर अमर उदय ट्रस्ट के सहयोग से प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में देवी स्नान वस्त्र धारण के बाद उन्हें विधिवत तिलक चंदन किया गया। जिसके बाद मां नयना से संबंधित कुलपूजा हुई। मुख्य यजमान मनोज चौधरी सपत्निक शामिल हुए। कुल पूजा में प्रमुख रूप से प्रदीप साह, राजीव लोचन साह, दिव्यांस शाह, महेश भट्ट, सुरेश मेलकानी सहित स्व0 मोतीराम शाह के वंशज शामिल रहे। कन्यापूजन के बाद महाभंडारा शुरू हो गया। भंडारा सांयकाल तक चला। शायं को भजन संध्या का आयोजन भी हुआ ।
धार्मिक अनुष्ठानों में आचार्य बसंत बल्लभ पांडे, मनोज पांडे, उमेश तिवारी, दिनेश तिवारी, महेश पांडे, के अलावा मां नयना देवी मंदिर के पुजारियों बसंत बल्लभ पांडे, चंद्रशेखर तिवारी, भुवन कांडपाल, गणेश कांडपाल तथा नवीन तिवारी ने धार्मिक अनुष्ठानों को भक्तिभाव से सम्पन्न कराने में सहयोग दिया। दोपहर बाद सुंदर कांड पाठ व भजन कीर्तन का आयोजन शुरू हो गया। इस बीच स्थापना दिवस के कार्यक्रमों को संपन्न कराने में श्री माँ नयना देवी मन्दिर अमर उदय ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, महासचिव हेमंत कुमार साह, उपाध्यक्ष घनश्याम लाल साह, उपसचिव प्रदीप शाह समेत किशन सिंह नेगी, सुमन साह, मुन्नी भट्ट, अमिता साह, महेश लाल साह, मन्दिर सलाहकार समिति के भीम सिंह कार्की, बृज मोहन जोशी, राजीव दूबे, मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी सुरेश मेलकानी, कार्यालय प्रभारी बसंत जोशी, गणेश बहुगुणा, भुवन कांडपाल, उमेश बहुगुणा, मंजू रौतेला, मनोज चौधरी, प्रदीप साह नीलम साह, शेरिंग डोलमा, पैलकी, स्वाति साह, लता तिवारी, शोभा तिवारी समेत सभी आचार्यगण कर्मचारी एवं सैकड़ों की संख्या में भक्त जन उपस्थित जुटे रहे।
मालूम हो कि वर्तमान मंदिर की स्थापना 1883 में ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को स्व0 मोती राम साह ने अंग्रेजों से सवा एकड़ भूमि लेकर की थी। पूर्व में यह मंदिर वोट हाऊस क्लब के पास था। 18 सितम्बर 1880 को आल्मा पहाड़ी में हुए भयंकर भूस्खलन के कारण मूल मंदिर ध्वस्त हो गया था। लिहाजा इस मंदिर के अवशेषों को लेकर वर्तमान मंदिर की स्थापना की। स्थापना दिवस के साथ ही नंदा देवी का जन्म भी ज्येष्ठ शुक्ल नवमी को माना जाता है। इस दिन को स्थापना दिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। पौराणिक महत्व प्राप्त इस मंदिर गर्भगृह में स्थापित नयना देवी की नेपाली शैली में काले प्रस्तर बनी मूर्ति की साह वंशजों द्वारा विशेष पूजा अर्जना की जाती है ।