नैनीताल । हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा 8 जनवरी 2024 को शासन के संविदा व मानदेय कर्मियों को आउटसोर्स एजेंसी में पंजीकरण कराने के आदेश पर रोक लगाने के फैसले को उत्तराखंड के महाधिवक्ता ने विशेष अपील के जरिये चुनौती दी है । जिस पर कल शुक्रवार 12 जनवरी को कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में सुनवाई होगी । यह याचिका महाधिवक्ता बनाम अमित चन्द्र पेटशाली नाम से 17 वें नम्बर पर सूचीबद्ध है । विशेष अपील की सुनवाई में खण्डपीठ द्वारा जारी आदेशों का असर अन्य सरकारी विभागों पर भी पड़ने की संभावना है ।
मामले के अनुसार महाधिवक्ता कार्यालय में करीब एक दर्जन कर्मचारी संविदा व मानदेय कार्मिक के रूप में सेवारत हैं । जिन्हें महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से 15 नवम्बर 2023 को जारी शासनादेश के मुताबिक इन कार्मिकों को आउटसोर्सिंग एजेंसी में पंजीकरण करने हेतु निर्देशित किया गया । जिसे अमित चन्द्र पेटशाली व अन्य ने एकलपीठ में चुनौती दी थी । न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ द्वारा याचीगणों को आउटसोर्सिंग एजेन्सी से रजिस्ट्रशन कराने हेतु जारी आदेशों पर रोक लगा दी थी।
ये कार्मिक महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा 2002 एवं 2003 के शासनादेशों के जारी होने के उपरान्त कार्यहित को दृष्टिगत रखते हुये रखे गये, इसलिए महाधिवक्ता द्वारा समस्त मानदेय कर्मियों के अनुबन्ध को शासनादेशों के अनुरूप एक वर्ष के लिए, कार्य की उपलब्धता एवं वित्तीय उपलब्धता के अनुसार अनुबन्धित किया जाना आवश्यक है ।
विशेष अपील में कहा गया है कि उच्च न्यायालय, नैनीताल द्वारा रिट याचिका संख्या-814 एस.एस. 2017 में पारित आदेश 12 अप्रैल 2018 में संविदा पर नियोजित उक्त कार्मिक के नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन की मांग सम्बन्धी याचिका खारिज कर दी गयी थी।
इसके अलावा याचीगण उपनल एवं अन्य आउटसोर्सिंग एजेन्सी द्वारा कार्यालय में तैनात नहीं हैं इसलिए महाधिवक्ता कार्यालय/महाधिवक्ता को इनके कार्य संचालन हेतु नियम बनाने का सम्पूर्ण अधिकार है। महाधिवक्ता कार्यालय शासन का एक प्रमुख अंग है, इसलिए शासन द्वारा जारी समस्त दिशा-निर्देशों का पालन करना एवं पालन कराना सर्वथा उचित है, जिससे कि वित्तीय अनियिमितता परिलक्षित न हो। इसलिए कार्यालय द्वारा उक्त मानदेय कार्मिकों से अनुबन्ध भरने के लिए कहा गया है।
महाधिवता कार्यालय द्वारा दिसम्बर 2023 को याचिगणों / कार्यालय में कार्यरत मानदेय कार्मिकों का वेतन पुनः निर्धारण किया गया है । जो कि शासन के नवीनतम आदेश 15 नवम्बर, 2023 के अनुरूप है तथा उत्तराखण्ड शासन के शासनादेश 2007 व 2002 द्वारा विभिन्न विभागों में शासन की अनुमति के विपरीत रखे गये कार्मिकों को वेतन भुगतान में हो रही वित्तीय विसंगति के कारण यह पंजीकरण आवश्यक है । याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी मामले में 2006 में दिए गए फैसले का भी उल्लेख है ।