नैनीताल । सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज करते हुए कहा है कि आयुष और एलोपैथिक दोनों डॉक्टर समान वेतन के हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश विनीत सरन व न्यायमूर्ति माहेश्वरी की खंडपीठ ने यह अहम आदेश 24 मार्च को उत्तराखण्ड राज्य बनाम डॉ0 संजय सिंह चौहान सम्बन्धी एस एल पी की अंतिम सुनवाई में दिया है । मामले के अनुसार वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने एलोपैथिक और आयुष दोनों डॉक्टरों को एक ही चयन प्रक्रिया के माध्यम से 25000 / – अनुबंध पर 5% वार्षिक वेतन वृद्धि के साथ चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया। बाद में केवल एलोपैथिक डॉक्टरों का वेतन बढ़ाकर 50000/- कर दिया गया, जिसमें 5% वार्षिक वेतन वृद्धि हुई, आयुष डॉक्टरों को बिना समान वेतन वृद्धि के छोड़ दिया गया। आयुष डॉक्टरों ने भेदभाव को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि दोनों तरह के डॉक्टर समान वेतन के हकदार हैं।सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आयुष डॉक्टरों के वकील डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की है कि दोनों डॉक्टर अलग-अलग तरह का इलाज करते हैं और एलोपैथिक डॉक्टरों का काम अधिक गंभीर है और महत्वपूर्ण। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के तर्क को खारिज कर दिया है और कहा है कि दोनों तरह के डॉक्टर मरीजों का इलाज अपनी-अपनी प्रक्रिया से करते हैं और राज्य उनके बीच अंतर नहीं कर सकता है। उपचार के आधार पर डॉक्टरों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। राज्य एसएलपी को खारिज कर दिया गया है और एलोपैथिक और आयुष डॉक्टरों को समान वेतन उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के अनिवार्य निर्दे